March 29, 2024

अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू, कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के खिलाफ दायर कांग्रेस की याचिका पर बुधवार को अपराह्न दो बजे सुनवाई करेगा। अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के कैबिनेट के फैसले को कांग्रेस ने चुनौती दी है। मंगलवार को अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। विपक्ष ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ बताया है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दो दिनों में गहन विचार-विमर्श के बाद मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी प्रदान कर दी और इस आधार को स्वीकार कर लिया कि राज्य में संवैधानिक संकट है। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पैदा हुए संवैधानिक संकट पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने 24 जनवरी 2016 को अपनी बैठक में राष्ट्रपति से ऐसी उद्घोषणा जारी करने का अनुरोध किया था।

हालांकि बीजेपी ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इसे कई नजरिए से देखने की जरूरत है और यह संवैधानिक दायित्वों के अनुरूप है। इसके साथ ही पार्टी ने कांग्रेस पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा, ‘यह लोकतंत्र की हत्या है। मामला कोर्ट में है और सरकार ने जल्दबाजी में कार्रवाई की है। यह साफ तौर पर देश के सुप्रीम कोर्ट का अपमान है। लोकतंत्र की हत्या की गयी है।’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तुलना आपातकाल जैसी स्थिति से की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन, आडवाणी जी सही कह रहे थे कि देश में आपातकाल जैसी स्थितियां हैं।’ मुखर्जी ने सोमवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह को बुलाया था और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आवश्यकता के बारे में उनसे कुछ सवाल किए थे। वहीं राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने भी उनसे मुलाकात की थी और कैबिनेट के फैसले का विरोध किया था।

कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति से कैबिनेट के फैसले को मंजूरी नहीं देने का अनुरोध किया था। पार्टी ने कहा था कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है। अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल 16 दिसंबर से राजनीतिक संकट है जब कांग्रेस के 21 विद्रोही विधायकों ने एक अस्थाई स्थल पर विधानसभा की बैठक में बीजेपी के 11 और दो निर्दलीय विधायकों के साथ मिल कर विधानसभाध्यक्ष नबाम रेबिया के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया था।

विधानसभाध्यक्ष ने इस कदम को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था। इसे राज्य की शीर्ष कोर्ट ने भी बैठक को अमान्य करार दे दिया था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कैबिनेट के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका पर 27 जनवरी को सुनवाई करने का फैसला किया है। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर के समक्ष, उनके निवास पर जाकर याचिका पेश की गई थी जिसमें तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति ठाकुर ने इस मामले को बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। केंद्रीय कैबिनेट का फैसला राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा की रिपोर्ट पर आधारित था।