April 26, 2024

दुर्भाग्य ही तो है……. जंहा एड्स में स्वाहा हो जाते है 10 लाख लोग

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि साल 2016 में एड्स ने करीब 10 लाख लोगों की जान ली, यह 2005 में इस बीमारी से हुई मौत के आंकड़ों से लगभग आधा है जब इसका प्रकोप चरम पर था. रिपोर्ट में घोषणा की गयी है कि इसका प्रभाव कम हो रहा है. पेरिस में रविवार से शुरू होने वाले एड्स विज्ञान सम्मेलन से पहले प्रकाशित इस आंकड़े के मुताबिक न सिर्फ एचआईवी संक्रमण के नये मामलों और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा नीचे आ रहा है बल्कि पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा लोग जीवन रक्षक उपचार ले रहे हैं.

यूएएआईडीएस वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘साल 2016 में एचआईवी ग्रस्त 3.67 करोड़ लोगों में से 1.95 करोड़ लोग इसका उपचार ले रहे हैं.’’ यह पहला मौका है कि इस बीमारी से संक्रमित आधे से ज्यादा लोग एंटी-रेट्रोवायरल उपचार ले रहे हैं, जो एड्स के विषाणु के प्रभाव को कम कर देता है लेकिन इसे मारता नहीं.

लेखक ने कहा, ‘‘एड्स से जुड़ी मौतों का आंकड़ा 2005 में जहां 19 लाख था वह 2016 में घटकर 10 लाख हो गया है.’’ रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2016 में संक्रमण के 18 लाख नये मामले सामने आये जो 1997 में दर्ज 35 लाख मामलों के मुकाबले लगभग आधे हैं.

कुल मिलाकर 7.61 करोड़ लोग एचआईवी से संक्रमित थे. इसी विषाणु से एड्स होता है. 1980 में इस महामारी के शुरू होने के बाद से अब तक इससे करीब 3.5 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है. यूएनएआईडीएस के कार्यकारी निदेशक माइकल सिडिबे ने कहा, ‘‘समुदाय और परिवार फलफूल रहे हैं क्योंकि एड्स को पीछे ढकेला जा रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस महामारी को नियंत्रण में लेकर आ रहे हैं, स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और राष्ट्र ज्यादा मजबूत बन रहे हैं.’’