April 25, 2024

पीरियड आने पर यहां जानवरों की तरह गाय के बाड़े में रहती हैं लड़कियां

नेपाल 2 अप्रैल : नेपाल के कुछ इलाकों में आज भी लड़कियों को पीरियड के दौरान बड़ी अजीबोगरीब कंडीशन से गुजरना पड़ता है। पीरियड आने पर लड़कियों को गाय के बाड़े में डाल दिया जाता है। पांच दिन तक लड़कियां बेहद खराब स्थिति का सामना करती है। इस प्रथा को छौपदी कहा जाता है। ये प्रथा वेस्टर्न नेपाल के साथ भारत और बांग्लादेश के कई हिस्सों में आज भी जारी है। क्या है वजह…

– छौपदी का मतलब है अनछुआ। ये प्रथा सदियों से नेपाल में जारी है।
– पीरियड या डिलेवरी के चलते लड़कियों को अपवित्र मान लिया जाता है। इसके बाद उन पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी जाती हैं।
– वह घर में नहीं घुस सकतीं। पैरेंट्स को छू नहीं सकती। खाना नहीं बना सकती और न ही मंदिर और स्कूल जा सकती हैं।
– खाने में सिर्फ नमकीन ब्रैड या चावल दिए जाते हैं।
– अगस्त में आने वाले ऋषि पंचमी फेस्टिवल में महिलाएं नहाकर पवित्र करती हैं। साथ ही अपने पापों की माफी भी मांगती हैं।
– छौपदी को नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में गैरकानूनी करार दिया था।

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प्रथा को नहीं माना तो मिलेगी सजा
– हिंदू धर्म से जुड़ी इस प्रथा का पालन न करने पर सजा के बारे में भी बताया गया है।
– कोई महिला द्वारा प्रथा को न मानने पर फैमिली में मौत हो सकती है।
– पीरियड में फसल हाथ लगाने पर बर्बाद हो जाती है। खुद से पानी लेने पर सूखा पड़ता है।
– फल काे हाथ लगाने पर वह कभी नहीं पकता।

लड़कियों ने सुनाए भयानक तर्जुबे

– 16 साल की सोफाल्टा ने पहली बार पीरियड आने की बात पैरेंट्स को डरकर बताई थी।
– उसके मुताबिक, “डर था कि वे लोग उसे गाय के बाड़े में पटक देंगे। मुझे सोचकर डर लग रहा था।”
– “वहां गोबर बहुत बदबू थी। गंदगी इतनी थी कि वहां एक पल भी रुकना मुश्किल था।”
– गीता रोकाया ने बताया, “अगर हम घर में रुक जाते हैं तो बीमार पड़ जाती हैं, क्योंकि देवता इसकी इजाजत नहीं देते।”
– लक्ष्मी राउत ने बताया कि उसे डिलेवरी के बाद उसे और उसके बच्चे को 18 दिन तक बाड़े में रहना पड़ा था।
– सर्दी के कारण उसके बच्चे को फ्लू से मौत हो गई।

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किराए पर भी लेते हैं बाड़ा
– एक्शन वर्क नेपाल की चीफ राधा पौदेल के मुताबिक, वेस्टर्न नेपाल की 95% लड़किया-महिलाएं इस प्रथा को निभाती हैं।
– इतना ही नहीं, जिन फैमिली के पास गाय का बाड़ा नहीं होता, वह दूसरे के बाड़ों के एक रूम किराए पर लेते हैं।
– करीब 77% लड़कियों-महिलाओं को पीरियड के दौरान अपमान और हिंसा भी सहन करनी पड़ती है।