April 20, 2024

फोर्टिस अस्पताल ने 86 वर्षीय महिला के खराब घुटनों को सर्जरी से किया ठीक

फरीदाबाद : फोर्टिस एस्काॅट्र्स हाॅस्पिटल फरीदाबाद ने फरीदाबाद की रहने वाली 86 वर्षीय महिला पर टोटल नी रिप्लेसमेंट (बाइलेटरल) सर्जरी की। यह महिला गंभीर ओस्टियोआर्थराइटिस व खराब घुटनों से पीडि़त थी और इस सर्जरी ने उन्हें एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े होने में मदद की। फोर्टिस एस्काॅट्र्स हाॅस्पिटल, फरीदाबाद के सीनियर कंसल्टेंट (आॅर्थोपीडिक्स) डाॅ. अशोक धर के नेतृत्व में एक सर्जिकल टीम ने महज व्हीलचेयर तक सीमित महिला को तब चलने में मदद की, जब उनके पारिवारिक सदस्य भी उन्हें अपने पैरों पर चलते हुए देखने की उम्मीद छोड़ चुके थे।

फरीदाबाद की निवासी राजकुमारी हरनाल ही वह रोगी थीं, जिन्हें गंभीर ओस्टियोआर्थराइटिस हुआ था और उस वजह से उनके दोनों घुटने खराब हो गए थे। नतीजतन उनके दोनों घुटनों में बहुत दर्द होता था और वह कभी-कभार वाॅकर की सहायता से ही अपने पैरों पर खड़ी हो पाती थीं। वह पिछले तीन वर्षों से व्हील चेयर तक ही सीमित होकर रह गई थीं। ओस्टियोआर्थराइटिस को डिजेनरेटिव आर्थराइटिस, डिजेनरेटिव जाॅइंट डिज़ीज़ या ओस्टियोआर्थरोसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह जोड़ों की ऐसी बीमारी होती है, जो जोड़ों के कार्टिलेज और उनके नीचे की हड्डी में खराबी के कारण होती है।

इसके सबसे सामान्य लक्षण होते हैं- जोड़ों में दर्द और अकड़न। अन्य लक्षणों में जोड़ों पर सूजन आना और चलने-फिरने में तकलीफ होना शामिल है। यह बीमारी जितनी गंभीर होगी उतनी ही आपके काम और दैनिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। आर्थराइटिस के अन्य प्रकारों के मुकाबले इसमें घुटनों के जोड़ों पर ज़्यादा असर पड़ता है। सीनियर कंसल्टेंट (आॅर्थोपीडिक्स) डाॅ. अशोक धर ने बताया, ’’घुटनों में होने वाले आर्थराइटिस का सबसे आम प्रकार ओस्टियोआर्थराइटिस ही है। टेक्नोलाॅजी के उन्नत होने और सुरक्षित व अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध होने के कारण अब अधिक से अधिक लोग टोटल नी/हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी कराकर फिर चलने-फिरने का सुख प्राप्त कर रहे हैं। इन सर्जरी के बाद लोग अपना दैनिक जीवन सामान्य ढंग से बिता सकते हैं और अपने दैनिक कार्यों के लिए परिवार पर निर्भरता भी कम कर सकते हैं।’’

उन्होंने आगे बताया, ’’हमने रोगी पर जो सर्जरी की है उसके बाद अभी तो वह एक वाॅकर की सहायता से चल रही हैं लेकिन अगले 4 से 6 सप्ताह में वह एक छड़ी की मदद से चलने में सक्षम हो जाएंगी। यह संदेश उन सभी बुजुर्गों के लिए है, जो अपने जोड़ों की समस्या के कारण अब चल-फिर नहीं सकते हैं। उनके लिए अच्छी खबर है कि अब कंप्यूटर असिस्टेड जाॅइंट रिप्लेसमेंट जैसे एडवांस्ड ट्रीटमेंट के साथ कितनी भी उम्र में यह सर्जरी करा सकते हैं और इसकी सफलता का आंकड़ा 100 फीसदी है।’’ फोर्टिस एस्काॅट्र्स हाॅस्पिटल, फरीदाबाद के फैसिलिटी डायरेक्टर राजीव भंडारी ने कहा, ’’फोर्टिस एस्काॅट्र्स हाॅस्पिटल, फरीदाबाद में हम एडवांस्ड, और अत्याधुनिक उपकरणों एवं इलाज के ज़रिए रोगी केंद्रित देखभाल देने में पूरी तरह सक्षम हैं।

हमारे पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त संसाधन और बुनियादी ढांचा भी उपलब्ध है। यह सर्जरी दर्शाती है कि हमारे क्लीनिशियंस रोगियों का जीवन बेहतर बनाने के लिए कितनी मेहनत करते हैं। इससे यह भी साबित होता है कि हड्डियों की बीमारियों को लेकर बिल्कुल हताश हो चुके लोगों को जिताने और इलाज के साॅल्यूशंस उपलब्ध कराने के लिए क्लीनिकल टीम कितनी मेहनत करती है।’’ रोगी और उनके परिवार के सदस्यों ने इसके लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ’’हम उन डाॅक्टरों के आभारी हैं, जिन्होंने इन्हें एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद की। उन्हें फिर चलने-फिरने में सक्षम बनाने के लिए हमारे पास डाॅ. अशोक धर और फोर्टिस एस्काॅट्र्स हाॅस्पिटल, फरीदाबाद का धन्यवाद करने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं हैं।’’

ओस्टियोआर्थराइटिस (ओए), पुरुषों के बजाय महिलाओं में अधिक पाया जाता है लेकिन इसके मामले बढ़ती उम्र के साथ बढ़ते हैं। 65 वर्षों से अधिक उम्र की 45 फीसदी महिलाओं में इसके लक्षण होते हैं, जबकि रेडियोलाॅजिकल प्रमाणों की मानें तो इस उम्र से ज़्यादा की करीब 70 फीसदी महिलाओं को यह समस्या होती है। घुटने में ओस्टियोआर्थराइटिस होना चलने-फिरने में सक्षम नहीं रहने की सबसे बड़ी वजह होती है विेशष तौर पर महिलाओं में। वष 1990 में गैर-जानलेवा बीमारियों से विष्व की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले बोझ की वजहों में से ओस्टियोआर्थराइटिस 10वें स्थान पर थी लेकिन वर्श 2000 में यह बढ़कर चैथे स्थान पर पहुंच गई।