April 24, 2024

शनि मंदिर दर्शन से पहले 400 महिलाओं को पुलिस ने हिरासत में लिया

अहमदनगर : महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शनि शिंगणापुर मंदिर स्थित पवित्र चबूतरे पर महिलाओं के प्रवेश पर रोक की सदियों पुरानी परंपरा तोड़ने का प्रयास करने वाली करीब 400 महिला कार्यकर्ताओं की कोशिश को पुलिस ने तब विफल कर दिया जब उन्हें मंदिर से 70 किलोमीटर दूर एक गांव में रोक लिया गया. कार्यकर्ताओं ने शनि भगवान की पूजा करने के लिए निषेधाज्ञा का उल्लंघन करके इस लोकप्रिय मंदिर की ओर बढ़ने का प्रयास किया. पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं को सूपा गांव में हिरासत में ले लिया लेकिन उन्हें कुछ घंटे बाद शाम को छोड़ दिया गया. इन महिला कार्यकर्ताओं को बस में वापस पुणे भेज दिया गया.

गतिरोध शुरू होने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंदिर प्रशासन और कार्यकर्ताओं के बीच बातचीत का समर्थन किया ताकि महिलाओं के मंदिर के भीतरी क्षेत्र स्थित पवित्र चबूतरे पर प्रतिबंध को लेकर रास्ता निकाला जा सके. फडणवीस ने कहा कि महिलाओं को पूजा करने का अधिकार है. गृह प्रभार संभालने वाले फडणवीस ने ट्वीट किया, ‘‘भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म महिलाओं को पूजा का अधिकार देता है. कल की परंपरा में परिवर्तन हमारी संस्कृति है. पूजा में भेदभाव हमारी संस्कृति में नहीं है. मंदिर प्रशासन को इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाना चाहिए.’’

महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री राम शिंदे ने कहा कि सरकार एक सौहार्दपूर्ण हल निकालने के लिए शनि शिंगणापुर मंदिर प्रशासन और महिला कार्यकर्ताओं के बीच बातचीत की पहल करेगी. अहमदनगर पुलिस ने पुणे के रणरागिनी भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ताओं को मंदिर से करीब 70 किलोमीटर दूर सूपा गांव में रोककर भगवान शनि के मंदिर में पवित्र चबूतरे पर पूजा करने के उनके प्रयास को विफल कर दिया जहां महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है. मंदिर प्रशासन के कथित लैंगिक (जेंडर) आधार पर भेदभाव के खिलाफ इन कार्यकर्ताओं के इस आंदोलन का नेतृत्व तृप्ति देसाई कर रही थीं.

हिरासत में ली गई महिला कार्यकर्ताओं को सूपा में एक विवाह हॉल में रखा गया था. इनकी निगरानी के लिए महिला पुलिसकर्मी तैनात थीं. अहमदनगर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पंकज देशमुख ने कहा, ‘‘हमने तृप्ति देसाई एवं अन्य कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया. बम्बई पुलिस कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत कार्रवाई करने के बाद उन्हें शाम को जमानत पर रिहा कर दिया गया.” उन्होंने कहा, ‘‘हमने शनि शिंगणापुर के ग्रामीणों और महिला कार्यकर्ताओं के बीच टकराव टालने के लिए बहुत सावधानी बरती. कार्यकर्ताओं से वापस पुणे जाने के लिए कहा गया है.’’ पुलिस ने बताया कि कार्यकर्ताओं को बाद में बसों में वापस पुणे भेज दिया गया.

देसाई ने अपने प्रेस रिलिज़ में कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री से मिलने जा रहे हैं और उनसे अनुरोध करेंगे कि सरकार को मंदिर ट्रस्ट को अपने हाथ में ले लेना चाहिए और लैंगिक भेदभाव समाप्त करके पुरुष और महिला दोनों को मंदिर के भीतरी क्षेत्र में जाने की इजाजत देनी चाहिए.’’ तनावपूर्ण माहौल में कार्यकर्ताओं ने पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ जोरदार विरोध किया और नारेबाजी की और सड़क पर लेट गईं. महिला कार्यकर्ता चिल्ला रही थीं कि ‘गणतंत्र दिवस के दिन यह महिलाओं के लिए काला दिवस है.’

देसाई ने गतिरोध के बीच संवाददाताओं से कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई ‘निंदनीय’ है और यह ‘गणतंत्र दिवस के दिन महिलाओं के साथ ही भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिवस’ है. नाराज देसाई ने जानना चाहा कि महिलाओं से भेदभाव क्यों हो रहा है और उन्होंने जोर देकर कहा कि कार्यकर्ता अपनी योजना के अनुसार आगे बढ़ेंगी. देसाई ने ‘युवा’ मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह हस्तक्षेप करें और महिलाओं की आवाज और सशक्तिकरण को दबाने के प्रयासों को रोकने के लिए तुरंत कदम उठायें.

मंदिर भगवान शनि को समर्पित है और मंदिर की परंपरा के अनुसार महिला श्रद्धालुओं को पवित्र चबूतरे पर जाने की इजाजत नहीं. इससे पहले दिन में देसाई ने अभियान का नेतृत्व करते हुए घोषणा की कि महिला कार्यकर्ता लैंगिक भेदभाव समाप्त करने के लिए प्राचीन मंदिर के ‘निषेध परिसर’ में प्रवेश करने का प्रयास करेंगी ताकि महिलाओं को समानता से इनकार करने वाली परंपरा को तोड़ा जा सके. मंदिर के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. अहमदनगर जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने मंदिर जाने वाले सभी मार्गों को सील कर दिया था.

अहमदनगर में सभी प्रवेश बिंदुओं पर भारी सुरक्षा थी. प्रत्येक स्थान पर बैरिकेट और पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी ताकि कार्यकर्ताओं को मंदिर पहुंचने से रोका जा सके. ब्रिगेड की एक कार्यकर्ता प्रियंका जगताप ने आरोप लगाया कि उनके प्रदर्शन का स्वभाव शांतिपूर्ण होने के बावजूद पुलिस उनसे ‘‘कठोरता’’ से पेश आयी.

तृप्ति के पति प्रशांत देसाई ने कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण तरीके से मंदिर की ओर बढ़ रहे थे, पुलिस ने हमारी बसों को रोक दिया और हमें भगवान शनि का आशीर्वाद लेने से रोक दिया.’’ लैंगिक भेदभाव रोकने के लिए महिला कार्यकर्ताओं के अभियान का समर्थन करते हुए आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आंदोलन सही है क्योंकि महिला श्रद्धालुओं से भेदभाव के बारे में कहीं कुछ भी नहीं लिखा है.”