April 20, 2024

5 बीमारियां जिससे हर भारतीय महिला को रहना होगा अलर्ट

डॉ राहुल मनचंदा दिल्ली के जाने माने स्त्री रोग विशेषज्ञ और इंडोस्कोपिक सर्जन हैं। उन्होंने महिलाओं को होने वाली 5 सामान्य बिमारियों के बार में बताया जिनसे महिलाओं को सचेत रहने की जरूरत है।

भारतीय महिलाओं में ये बात बड़ी नेचुरल है की वो परिवार के सभी लोगों के बारे में सपने से ज्यादा सोचते हैं । परिवार और बच्चों का ध्यान रखना अछि बात है लेकिन आपको अपनी सेहत का भी उतना ही ख्याल रखना चाहिए ताकि आप बिमारियों से बचे रह सकें ।

“महिलाएं परिवार की ड्राईवर की तरह होती हैं । ऐसे में अगर वो खुद ही स्वस्थ न हो तो पूरी फॅमिली को प्रॉब्लम होती है । इसीलिए महिलाओं के सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है । ” – नई दिल्ली के पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टिट्यूट में स्त्री रोग विशेषज्ञ औए इंडोस्कोपिक सर्जन डॉ. राहुल मनचंदा ।इस आर्टिकल में डॉ. मनचंदा उन 5 बीमारियों के बारे में बता रहे हैं जिनसे भारतीय महिलाओं को सावधान रहना चाहिए ।

1 ब्रैस्ट कैंसर
2013 के ग्लोबल बर्डन ऑफ़ कैंसर के अनुसार ब्रैस्ट कैंसर भारत में महिलाओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है । 1990 और 2013 ने ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या करीब करीब दोगुनी हो गयी ही । और इससे भी बुरी बात ये है की इतनी खतरनाक होते हुए भी महिलाओं को इसका पता तब चलता है जब ये बीमारी तीसरे या चौथे स्टेज पर होती है।
“जहाँ तक ब्रैस्ट कैंसर का सवाल है महिलाओं को 2 भागों में बांटा जा सकता है एक वो जिनकी फॅमिली हिस्ट्री हैऔर दुसरे जिनकी नही है ।अगर आपकी फॅमिली हिस्ट्री है तो आपका रॉक बहुत ज्यादा है । और ऐसी महिलाओं को नियमित तौर पर डॉक्टर से मिलते रहना चाहिए और जांच कराती रहनी चाहिए ।” – डॉ. मनचंदा

जिनकी हिस्ट्री वैसी नही है उनके लिए यही अच्छा होगा की आप self examination करती रहें और डॉक्टर से मिलती रहें। “लेकिन इसके लिए भी उन्हें डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा और जानना पड़ेगा की जांच कैसे की जाती है, कब करनी चाहिए आदि । उदाहरण के लिए पीरियड से पहले या बाद में । अगर किसी बात का शक हो तो डॉक्टर के पास जाएँ और पूछे की क्या करना चाहिए, मेम्मोग्राम करवाना होगा या ब्रेस्ट का अल्ट्रासाउंड ।40 या 45 साल की उम्र के बाद तो महिलाओं को अपने ब्रैस्ट की नियमित अल्ट्रासाउंड या मेम्मोग्राम करवाते रहना चाहिए।” – डॉ. मनचंदा

2 सर्वाइकल कैंसर
क्या आप जानते हैं की सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर में और भारत में भी दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है ? दुनियाभर में हर साल 5 लाख महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर पाया जाता है जिनमे से करीव 280,000 की मौत हो जाती है ।भारत में सर्वाइकल कैंसर होने की सामान्य उम्र 55 से 59 साल है ।

“सर्वाइकल कैंसर हमारे देश में महिलाओं की मृत्यु का एक बड़ा कारण है । pap smear जैसा एक आसान सा टेस्ट इसके बचाव में मददगार साबित होता है, और अगर किसी तफ की अनियमितता पायी जाए तो आपको तुरन्त इसका इलाज़ करवा लेना चाहिए । हर महिला को चाहे वो शादी शुदा हों या न हों 18 साल की उम्र के बाद से हर तीन साल पर pap smear टेस्ट कराना ही चाहिए । इसके अलावा आप सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन भी ले सकते हैं जो आजकल आसानी से उपलब्ध है लेकिन बिना किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ के सलाह के ऐसा न करें ।” – डॉ.मनचंदा

3 Endometriosis
ये एक बिमारी है जो तब नज़र में आई जब सुपर मॉडल पद्म लक्ष्मी ने घोषणा की की वो इस बिमारी से पीड़ित हैं। ये एक सामान्य मेडिकल प्रॉब्लम है जो दुनियाभर में करीब 89 मिलियन reproductive age group की महिलाओं को प्रभावित करता है। Endometriosis Society of India के द्वारा जारी की गयी एक स्टडी में 2500 डॉक्टर ने भाग लिया और बताया की भारत के 26 मिलियन 18 से 35 की उम्र के बीच की महिलायों endometriosis की समस्या है।
“Endometriosis बदकिस्मती से महिलाओं से तो क्या स्त्री रोग विशेषज्ञों और डॉक्टर्स से भी नहीं पहचाना जाता है . ऐसा इसीलिए है की इसका मुख्य कारण होता है पीरियड के दौरान दर्द जो की आम तौर पर सभी महिलाओं को होता ही है. फिर भी चाहे जो भी मामला हो एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच करवानी चाहिए . नहीं पहचाने जाने पर शरीर के अन्दर भी ब्लीडिंग शुरू हो सकती है . इसका कोई इलाज़ भले न हो लेकीन शुरुवाती स्तर पर इसका पता चल जाने पर इसके रोकथाम के इंतजाम किये जा सकते हैं .”– डॉ. मनचंदा
मनचंदा बी अताते हैं की सबसे अच्छा तरीका है की अगर पीरियड के दौरान आपको ज्यादा दर्द हो तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखायें “हो सकता अहै शुरू में लोग आपपर हँसे क्योंकि पीरियड के दौरान दर्द बहुत आम बात है लेकिन इसे शुरुवाती स्तर पर जनाना भी बहुत जरुरी है”

4 एनीमिया और कुपोषण

भारत में कुल आबादी के 50 फीसदी लोगों को एनीमिया होती है औ राइज महिलाओं के सन्दर्भ में साइलेंट किलर भी कहा जा सकता है . समस्या ये भी है की महिलाएं इस समस्या से पुरुषों से ज्यादा प्रभावित हैं । माना जाता है की भरत में 20 से 30 फीसदी maternal deaths एनीमिया के वजह से होती है और करीब 56 फीसदी महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं ।

“एनीमिया भारतीय महिलाओं में बहुत साधारण बात हो गयी है क्योंकि हम आज भी पुरुष प्रधान देश में रहते हैं जहाँ आज भी बहुत सी महिलाएं परिवार के खाने के बाद बचा हुआ खाना खाती हैं । लेकिन बच्चे वही पैदा करती हैं इसीलिए उन्हें बेहतर पोषण की जरूरत होती है ।” – डॉ. मनचंदा

एनीमिया के मुख्य लक्षण हैं कमजोरी, आलस, थकान, पीरियड के दौरान बहुटी ज्यादा खून निकलना ।एनीमिया होने के 2 कारण हो सकते हैं पहला पोषक तत्वों की कमी और दूसरा पीरियड के दौरान बहुत ज्यादा खून बह जाना । “पीरियड के दौरान बहुत ज्यादा खून बाह जाने से भी एनीमिया हो जाता है अगर आपको पीरियड से जुड़े कोई भी प्रॉब्लम हैं तो तुरन्त डॉक्टर से मिलें ।” – डॉ. मनचंदा
डॉ. मनचंदा आगे बताते हैं की महिलाओं कक ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां, सोया, पनीर, दूध आधी खाना और पीना चाहिए । नॉन वेजिटेरिअन लोग चिकन या मीट भी खा सकते हैं ।

5 हृदय रोग

“भारत में हमें लगता है की सिर्फ पुरुषों को ही हार्ट प्रॉब्लम होती है या हाइपरटेंशन होता है । लेकिन मैं आपको बता दूँ की इससे पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की मौत होती है । महिलाओं में होर्मोनस बहुत ज्यादा होते हैं लेकिन डॉक्टर से उनकी जांच कराते रहना भी बहुत जरूरी है।” – डॉ. मनचंदा

रिसर्च बताते हैं की महिलाओं में हार्ट अटैक कई बार misdiagnose हो जाते हैं या पकड़ में नही आते हैं क्योंकि उन्हें अक्सर नहीं पता होता है की फ्लू, पीठ दर्द, सांस तेजी से लेना, जबड़े में दर्द होना आदि भी दिल का दौरा पड़ने के लक्षण होते हैं। इससे बचने का एक ही तरीका है वूर वो ये की आप औने लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं, खाने पिने में ध्यान रखें । “समय आ गया है की महिलाएं परिवार के साथ साथ अपना भी ख्याल रखना शुरू कर दें।” – डॉ. मनचंदा