April 20, 2024

प्रदेश सरकार के फैसले से सीबीएसई स्कूलों में रोष, 6 से 9 मई तक रहेंगे हड़ताल पर

सरकार की ढुलमुल नीतियों के विरोध में, 134ए को समाप्त करने तथा शिक्षा का अधिकार (आरटीई) को लागू करने को लेकर होगी यह सांकेतिक हड़ताल

Faridabad/ Alive News

सीबीएसई से संबंधित फरीदाबाद व पलवल जिले के सभी प्राईवेट स्कूल सरकार की ढुलमुल नीतियों के विरोध में, 134ए को समाप्त करने तथा शिक्षा का अधिकार (आरटीई) को लागू करने को लेकर शुक्रवार से चार दिन की सांकेतिक हड़ताल पर रहेंगे। इस आशय की घोषणा आज यहां हरियाणा प्रोग्रेस्सिव स्कूल्स कांफ्रेंस (एचपीएससी) के प्रदेश अध्यक्ष एसएस गोंसाई, जिला अध्यक्ष सुरेशचन्द्र, महासचिव डा0 सुमित वर्मा तथा पलवल के जिला अध्यक्ष युद्ववीर सिंह ने होटल डिलाईट में आयोजित एक प्रैस कांफ्रेस में की। साथ ही इन्होंने सरकार व प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उन्होंने प्राईवेट स्कूल संचालकों की बातें नहीं मानी तो सीबीएसई से संबंधित फरीदाबाद व पलवल जिले के सभी प्राईवेट स्कूल अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकते हैं।

इस अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष एसएस गोंसाई तथा जिला अध्यक्ष सुरेशचन्द्र ने संयुक्त रूप से सरकार व प्रशासन के विरूद्व आक्रामक रवैया अपनाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह केंद्र सरकार के आरटीई एक्ट को लागू करें ताकि देश के हर बच्चे का शिक्षित करने का सरकार का सपना पूरा हो सके। ना कि अपनी नाकामियों का छिपाने के लिए 134ए जैसे गैर-तर्कसंगत कानून का सहारा ले जिसके बारे में अभी तक सरकार की खुद की नीति प नीयत भी स्पष्ट नहीं है। साथ ही इनका यह भी कहना था कि प्राईवेट स्कूल गरीब मेधावी बच्चों को 134ए के तहत पढ़ाने के लिए मना नहीं कर रहे है और ना ही वे इस कानून के खिलाफ हैं, मगर सरकार इस कानून को लेकर अपनी पॉलिसी को स्पष्ट तो करें जोकि आज तक नहीं हो पाई है। एचपीएससी के इन पदाधिकारियोंं ने कहा कि 134ए के तहत गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार जो पैसा प्राईवेट स्कूलों को देने की बात कह रही है, उस बारे में सरकार ने अभी तक यह नहीं बताया है कि एक बच्चे को पढ़ाने की एवज में सरकार कितना पैसा कब, कैसे और किस एजेंसी के माध्यम से उन्हें देगी। एचपीएससी के प्रदेश अध्यक्ष एसएस गोंसाई का कहना था कि सरकार व प्रशासन अपने सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारने की बजाए प्राईवेट स्कूलों की गुणवता को खराब करने की नाकाम कोशिश कर रही है।

वहीं दूसरी तरफ श्री गोंसाई ने अभिभावकों के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाले स्वयंभू नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि स्वार्थी किस्म के चंद वे लोग अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए अभिभावकों के संगठन के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं जिनके बच्चें कि किसी भी स्कूल में नहीं पढ़ रहे हैं। ऐसे लोग बच्चों के अभिभावकों के साथ-साथ सरकार व प्रशासन को गुमराह कर शहर में स्कूलों के वातावरण को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें वे अब किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं करेंगे।
एचपीएससी के जिला अध्यक्ष सुरेशचन्द्र ने इस अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा में ऐसा एक भी प्राईवेट स्कूल नहीं है जिसको कि सरकार ने रियायती दरों पर जमीन दी हो। ऐसे में सरकार व प्रशासन प्राईवेट स्कूल संचालकों से कैसे किसी भी प्रकार की फटीक तथा दाखिलों में रियायत की उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावकों के नाम पर स्कूलों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने वाले लोगों में से 90 प्रतिशत के बच्चें तो किसी भी स्कूल में पढ़ते ही नहीं हैं। ऐसे फर्जी किस्म के लोग एजुकेशन हब के नाम से पहचान बनाने वाले फरीदाबाद के नाम को खराब करने पर तुले है जैसे कि पहले औद्योगिक शहर का नाम चंद मजदूर नेताओं ने खराब किया था। सुरेश चन्द्र ने कहा कि दाखिले के लिए यदि किसी भी अधिकारी या राजनेता ने प्राईवेट स्कूल संचालकों पर नाजायज दबाव बनाने की कोशिश की तो उन्हें अब उन्हीं की भाषा में जबाव दिया जाएगा। यहीं नहीं भविष्य में निजी स्कूल संचालक द्वारा राजनेताओं की रैलियों के लिए अपने-अपने स्कूलों की बसें भी अब उन्हें नहीं दी जाएगी।

और जहां तक बात है स्कूलों में 134ए लागू करने की तो इसकेलिए वे पीछे नहीं हट रहे है परंतु इसे लागू करवाने से पहले सरकार इस कानून को लेकर साफ नीयत से अपनी मंशा स्पष्ट करे। यहीं नहीं यदि जिला शिक्षा अधिकारी ने अपना सौतेला व्यवहार पहले की ही तरह बनाए रखा तो वे उनके खिलाफ मुख्यमंत्री तक अपनी शिकायत पहुंचायेंगे। उन्होंने कहा कि वे अब सरकार व प्रशासन की किसी भी प्रकार की ज्यादती को बर्दास्त नहीं करेंगे।

हरियाणा प्रोग्रेस्सिव स्कूल्स कांफ्रेंस की इस प्रैस वार्ता में डा.सुभाष श्योराण, नरेन्द्र परमार, उमंग मलिक, भारत भूषण शर्मा, नवीन चौधरी, नीलम गांधी, डा.ऋषिपाल चौहान, टीएस दलाल, राजदीप सिंह आदि प्राईवेट स्कूल संचालक विशेष तौर पर मौजूद थे।