April 18, 2024

एशियन की लापरवाही : 15 लाख का बिल, नहीं बचा पाए जच्चा- बच्चा की जान

Faridabad/Alive News : पिछले 1 माह से अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं । जिसमें दिल्ली का मैक्स हॉस्पिटल के साथ हरियाणा के अस्पताल भी चर्चा में रहे और इनके खिलाफ सरकार ने कार्रवाई के आदेश दिए। आज उसी से मिलता जुलता एक मामला प्रकाश में आया है यह मामला एशियन हॉस्पिटल का है। जिसमें लडक़ी के पिता का आरोप है कि मेरे से 14 लाख रुपए लेने के बाद भी मेरी बच्ची को इन्होंने मार दिया।

क्या है मामला
नचोली गांव के निवासी सीताराम का कहना है कि उनकी बेटी जिसकी उम्र लगभग 20 साल है वह 6 से 7 माह के बच्चे के गर्भ से थी। पिछले माह 13 दिसंबर को बुखार होने के कारण उसे एशियन अस्पताल में दाखिल कराया गया था। तीन चार दिन इलाज करने के बाद डॉक्टरों ने कहा कि लडक़ी की हालत खराब है इसकी सर्जरी करनी पड़ेगी। जिसके लिए इन्होंने तीन लाख रूपय तुरंत जमा करने को कहे और हमसे कहा कि हम प्रयास करेंगे कि जच्चा- बच्चा दोनों सुरक्षित रहे। उस पर हमने यह कहा कि किसी भी हाल में हमारी बेटी को जरूर बचा लेना और तुरंत हमने तीन लाख रूपय जमा करा दिए।

उसके बाद से 4 दिन हमारी बेटी को वेंटिलेटर पर रखा गया। जिसका रोजाना लाख रुपए से अधिक का बिल हमें दिया जाता था। ऑपरेशन के दौरान उन्होंने बताया कि आपकी बेटी की आंत फट गई है लेकिन खतरे से बाहर है और बिल बनाते रहे। रोजाना के 100 से ऊपर इंजेक्शन का बिल हमें देते रहें। 17 दिसंबर को मेरी बेटी का ऑपरेशन किया गया और लगभग 8 दिन यानी 26 दिसंबर तक उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। उसके बाद 2 दिन के लिए आईसीयू में शिफ्ट किया और फिर मुझे यह बता दिया कि आपकी बेटी की तबीयत दोबारा खराब हो गई है।

इसे फिर वेंटिलेटर में रखना होगा उस दिन से लेकर आज तक मुझे मेरी बेटी से नहीं मिलने दिया गया। कल मेरे ऊपर बिल जमा करने का दबाव बना रहे थे शाम को जैसे ही मैंने पैसे जमा किए तो आज उन्होंने तडक़े मुझे यह सूचना दे दी कि आपकी बेटी नहीं रही। लगभग 14 से 15 लाख रूपय मेरे से ले चुके हैं उसके बाद भी जच्चा- बच्चा दोनों को ही नहीं बचा पाए। उनका आरोप है कि यह अस्पताल की लापरवाही है अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन के दौरान सावधानी नहीं बरती जिसके चलते मेरी बेटी कि आंत फट गई यह सरासर अस्पताल की लापरवाही का मामला है और मैं इसकी शिकायत प्रशासन से अवश्य करूंगा।

अब यहां यह सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इन अस्पतालों पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस नीति ला पाएगी या फिर यूं ही गोलमाल चलता रहेगा और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ होता रहेगा। 15 लाख रुपए की रकम एक आदमी के लिए बहुत बड़ी रकम होती है। इतनी रकम खर्च करने के बाद भी यदि अस्पताल प्रशासन जच्चा- बच्चा को नहीं बचा पाता तो ऐसे अस्पताल में इलाज की क्या उम्मीद की जा सकती है।