April 25, 2024

बोफोर्स विवाद : तीन दशक बाद भारतीय सेना को मिली नई तोपें

New Delhi/Alive News : तीन दशक के बाद, भारतीय सेना को इसका पहला भारी आयुध मिल रहा है। अमेरिका के साथ हुए सौदे के अनुसार, 2 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोप भारत आ गया है। इन्हें चीन के साथ सीमा के निकट तैनात किया जाएगा।

पोखरण में होगा परीक्षण
बीएई सिस्टम से मिली दो 155 एमएम/39 कैलिबर अल्ट्रा लाइट हॉवित्‍जर (यूएलएच) तोपों का राजस्थान के पोखरण स्थित फायरिंग रेंज में परीक्षण किया जाएगा। वहां भारतीय गोला-बारूद से इनकी टेस्टिंग की जाएगी। इसके बाद 3 तोपों को सितंबर में लाने का प्लान है। फिर 2019 के मार्च से लेकर 2021 के जून के बीच हर महीने 5-5 तोपें आएंगी। बीएई सिस्‍टम के प्रवक्‍ता ने बताया, ‘हमें इस बात की घोषणा करते हुए अत्‍यंत प्रसन्‍नता हो रही है कि अमेरिका के साथ 145 M777 काफी हल्‍के वजन वाले होवित्‍जर तोपों के सौदे के बाद इस सप्‍ताह इसमें से दो तोप भारत भेजे जा रहे हैं। भारतीय सेना के आयुध आधुनिकीकरण कार्यक्रम के साथ जुड़ने में अमेरिकी सरकार का समर्थन करेंगे।‘

बोफोर्स की बाधा
1986 में बोफोर्स तोपों की खरीद के बाद इसके सौदे में दलाली के आरोपों ने भारतीय राजनीति में इतना बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था कि नयी तोप खरीदने में करीब 3 दशक का वक्त लग गया। 26 जून 2016 को नरेंद्र मोदी सरकार ने 145 तोपों की खरीद की घोषणा की। फॉरेन मिलिट्री सेल्स (एफएमएस) के तहत सरकार से सरकार के बीच हुए 2900 करोड़ रुपये के इस सौदे पर नवंबर 2016 में अंतिम मुहर लगी और 145 तोपों के लिए अमेरिकी कंपनी बीएई सिस्टम्स के साथ डील पक्‍की हो गयी।

हल्की तोप होने की वजह से इसे कहीं भी ले जाना आसान है। हालांकि इसके टारगेट को ऊंचाई के हिसाब से सेट किया जा सकता है। इस कारण हॉवित्जर 24 से 40 किलोमीटर के तक आसानी से हिट कर सकती है। हॉवित्जर में लगे सेंसर और राडार पहाड़ों के पीछे छिपे दुश्मनों को ढूंढकर गोले बरसा सकते हैं। अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में चीन से लगने वाली सीमा पर हॉवित्जर तोपों की तैनाती की जाएगी।

गत वर्ष नवंबर में हुई थी डील
30 नवंबर को 145 M777 तोपों की खरीद के लिए भारत ने अमेरिका के साथ एग्रीमेंट व एक्‍सेप्‍टेंस (LOA) के कागजात पर हस्‍ताक्षर किया था। 17 नवंबर को यूनियन कैबिनेट ने इस डील को मंजूरी दी जिससे भारतीय सेना और ताकतवर हो जाएगी, विशेषकर चीन के खिलाफ। एम-777 हॉवितजर्स तोपों के खरीद को लेकर अमेरिका से साल 2010 में बातचीत शुरू हुई थी। 1980 के दशक में स्वीडिश कंपनी से खरीदी गयीं बोफोर्स तोपों के बाद भारतीय सेना में कोई नई तोप नहीं शामिल की गयी थी।