April 25, 2024

औद्योगिक जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम में बदलाव समय की मांगः कुलपति प्रो. दिनेश कुमार

Faridabad/Alive News : हरियाणा की प्रधान सचिव, तकनीकी शिक्षा ज्योति अरोड़ा ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) द्वारा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए निर्धारित मॉडल पाठ्यक्रम को तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि नया पाठ्यक्रम सभी प्रमुख इंजीनियरिंग क्षेत्रों में मौजूदा औद्योगिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। राज्य सरकार मॉडल पाठ्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है जो युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ायेगा।

अरोड़ा आज वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद द्वारा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) द्वारा निर्धारित मॉडल पाठ्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर आयोजित राज्य स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। कार्यशाला की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की।

एआईसीटीई द्वारा हाल ही में इंजीनियरिंग के ग्रेजुएट व पोस्ट-ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए नया मॉडल पाठ्यक्रम जारी किया गया है और कार्यशाला का आयोजन नये मॉडल पाठ्यक्रम को लेकर बेहतर समझ बनाने तथा इसके प्रभावी क्रियान्वयन के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस अवसर पर एआईसीटीई से प्रो. राजीव कुमार, सलाहकार-1 (पी व एपी) कार्यशाला में मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम के उपरांत अरोड़ा ने विश्वविद्यालय में नैनो साइंस लैब का उद्घाटन किया तथा अनुसंधान कार्याें पर चर्चा की।

अपने स्वागतीय संबोधन में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि औद्योगिक जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम में बदलाव समय की मांग है। वाईएमसीए विश्वविद्यालय ने हमेशा कौशल आधारित शिक्षा द्वारा तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में पहल की है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में नये बदलावों से विद्यार्थियों के साथ-साथ उद्योगों को भी लाभ होगा। कुलपति ने बताया कि एआईसीटीई द्वारा निर्धारित मॉडल पाठ्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा उचित कदम उठाये गये है।

प्रधान सचिव ने विश्वविद्यालय द्वारा मॉडल पाठ्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में पहल करने तथा नये मॉडल पाठ्यक्रम को लेकर बेहतर समझ बनाने के उद्देश्य से राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन करने की सराहना की। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को मॉडल पाठ्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिये ताकि इसे आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू किया जा सके।

मुख्य वक्तव्य में प्रो. राजीव कुमार ने इंजीनियरिंग मॉडल पाठ्यक्रम का संक्षिप्त विवरण दिया तथा एआईसीटीई द्वारा तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए किये जा रहे कार्याें पर चर्चा की, जिसमें पाठ्यक्रम में संशोधन, शिक्षक प्रशिक्षण, प्रेरक प्रशिक्षण कार्यक्रम, अनिवार्य इंटर्नशिप तथा परीक्षा सुधार शामिल हैं। उन्होंने बताया कि परिषद् परीक्षा सुधार की दिशा में कार्य कर रही है, जिस पर आवश्यक सुझाव देने के लिए कमेटी का गठन किया गया है। इसी प्रकार, तकनीकी शिक्षा के लिए भावी योजना के मानदंड तैयार करने पर भी कार्य किया जा रहा है।

अपने संबोधन में अधिष्ठाता (संस्थान) प्रो. संदीप ग्रोवर ने अनिवार्य प्रेरक कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी, जिसे एआईसीटीई द्वारा इंजीनियरिंग विद्यार्थियों के लिए आगामी सत्र से अनिवार्य कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत, विद्यार्थियों को अपने दैनिक दिनचर्या के साथ योग तथा खेल जैसी शारीरिक गतिविधियों का पालन करना होगा। प्रत्येक विद्यार्थी एक खेल का चयन करना होगा तथा तीन सप्ताह तक सीखना होगा। इसके अलावा, ऐसे विद्यार्थी जो अंग्रेजी भाषा में सक्षम नहीं है, उनके लिए अंग्रेजी की विशेष कक्षाएं लगाई जायेंगे। विद्यार्थियों को कला या दृश्य कला कौशल को भी सीखना होगा।

कार्यशाला के दौरान एमएनआईटी, जयपुर से प्रो. विनीत साहूजा ने मॉडल पाठ्यक्रम को पीजी स्तर पर तथा तथा प्रो. राजेश कुमार आहूजा ने यूजी स्तर पर क्रियान्वित करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। प्रो. कोमल कुमार भाटिया ने मॉडल पाठ्यक्रम के अंतर्गत शुरू की गई वर्चुअल लैब के प्रयोग से संबंधित जानकारी दी।