April 26, 2024

छठ घाट पर शहर के छुटभैया नेताओं की राजनीति

क्या छठ घाट की राजनीति से छुटभैया नेता बन पायेगें पार्षद, विधायक सांसद

Faridabad/Alive News : फरीदाबाद शहर मेें नगर निगम, विधानसभा और लोकसभा में पूर्वाचंल वोट बैंक प्रत्येक प्रत्याशी की जीत हार तय करता है। बिहार राज्य से निकले छठ महापर्व पर वोट बैंक की राजनीति के लिए छुटभैया नेता दीवाली के बाद से ही घाट की सफाई, मरम्मत और जल भरने की चिंता में कुछ पूर्वाचल वासियों को साथ लेकर प्रशासन और सरकार को कोसना शुरू कर देते है। शहर के कॉलोनीयों में राजनीति करने वाले छुटभैया नेता छठ पर्व पर आस्था की आड़ में छठ घाट पर जाकर पूर्वाचल के लोगो के साथ फोटो सेशनं कर अपनी राजनीति चमकाते हैं।

हालाकि राजनीति के माहिर माने जाने वाले यूपी-बिहार के लोग छुटभैया नेताओ का दलबल और धन का पूरा लाभ लेकर बिना प्रशासन की मद्द के घाटों को पूजा योग्य करवा लेते है। और जब फरीदाबाद शहर में नगर-निगम, विधानसभा और लोकसभा चुनाव आते है तो अपने वोट की ताकत को वहा लगाते है जहां से उनका लाभ अधिक होना होता है। फरीदाबाद की गली-गली में बैठे राजनीति के माहिर खिलाडी़ भी छठ पर्व की आड़ में छठ श्रद्धालुओं को लुभाने का कोई मौका नही छोड़ रहे है।

ना तो इन सियासतदारों को छठ पर्व की कोई जानकारी होती है ना ही छठ पर्व में इनकी कोई रूचि लेकिन फिर भी सिर्फ छठ श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए घाटों में झाडुं लेकर खड़े होते है, फोटो सेंशन कराते है और चले जाते है। लेकिन साफ-सफाई का कोई नामों-निशान नही होता। वैसे तो राजनीति के खिलाडिय़ों का यह खेल आरोप-प्रत्यारोप के साथ-साथ इन बातो से भी चलता रहता है कि कहा-कहा घाट बनवाए गए है, कहा मरम्मत नही हुई है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फरीदाबाद में राजनीति के खिलाडिय़ों की कोई कमी नही है। एक ही घाट पर चार-चार छुटभैया नेता आकर छठ श्रद्धालुओं को लुभाने में लग जाते है। यह छुटभैया नेता अलग-अलग तरीके से छठ श्रद्धालुओं को लुभाने के प्रयास करते है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि घाटों में छठ श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने से पहले ही जगह-जगह बड़े-बड़े बैनर लगा दिए जाते है, ताकि इन बैनरों से पता चल सके कि किसने घाट बनवाया, किसने सजाया, कौन है जो छठ श्रद्धालुओं की भावनाओं को समझ रहा है। सुबह से लेकर शाम तक कई घाटों पर स्टेज प्रोगाम चलते रहते है, कई लोकगायक द्वारा भक्ति के गीत गाए जाते है।

जब भाषणों से काम नही चलता तो पैसे भी खर्च किए जाते है। यह सब सिर्फ अच्छा नेता बनने के लिए नही चुनाव में अधिक-से-अधिक वोट की लालसा में किए जाते है और आखिरकार इतनी जद्दोजहद के बाद छठ श्रद्धालुओं को लुभाने का इन सियातदारों का प्रयास जारी रहता है। अभी फरीदाबाद में कोई भी चुनाव नजदीक नही है, फिर भी चुनाव का हार जीत भविष्य के गर्व मे होता है।