April 26, 2024

फसल अवशेष प्रबन्धन समय की आवश्यकता : उपायुक्त

Palwal/Alive News : उपायुक्त मनीराम शर्मा ने बताया कि फसल अवशेषो के उचित प्रबन्धन व निपटान की उन्नत तकनीक से टिकाऊ खेती बनेगी भूमि की सेहत सुधरेगी, पर्यावरण बचेगा तथा किसान की आय भी बढेगी। प्रदेश में लगभग 40 लाख टन धान की पराली तथा एक करोड टन गेँहू की अवशेष बनते है। पलवल जिले में भी 60 हजार टन से 90 हजार टन फसल अवशेष प्रतिवर्ष बचे रहे जाते है। फसल अवशेष निपटान को लेकर किसान परेशान, सरकार भी बढते प्रदुषण से चिन्तित तथा वैज्ञानिक बेहतर विकल्प के लिए प्रयत्नशील है। ताकि फसल अवशेषो में आग लगाने की समस्या से निजात मिले। कृषि विभाग किसानो को फसल अवशेष से होने वाले नुकसान से आगाह कर रहा है।

उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाना किसान का अपने घर में स्वयं आग लगाने जैसा कृत्य है क्योंकि अवशेष जलाने से पशुओ के लिए उपयोगी चारा जल जाता है। भूमि के पोषक तत्व व कार्बनिक प्रदार्थ जल जाते है, लाभकारी मित्रकीट, कैंचुए, भूमि में प्रति ग्राम मिट्टी में मोजूद लाखो फफूंद तथा करोडो बैकटीरिया जलकर भस्म हो जाते है। दो टन फसल अवशेष जलाने से लगभग 12 किलो नाइट्रोजन, 6 किलो फासफोरस, 3किलो गन्धक, 50 किलो पोटाश व बडी मात्रा में सूक्ष्म पोषक तत्व जलकर खाक हो जाते है।

वातावरण में घुँआ, कार्बनडाई अक्साइड व अन्य गैसे वातावरण को प्रदुषित कर देती है। खेतो में आग लगाने से प्रदुषण फैलाने वाले छोटे-छोटे कण बढने से सिरदर्द, साँस लेने में तकलीफ तथा अस्थमा व कैंसर जैसी बिमारियाँ बढ रही हैै।कृषि विभाग किसानो को फसल अवशेष प्रबन्धन के उपाय व कम्पोस्ट खाद बनाने के उपाय सुझा रहा है। प्रशासन पलवल द्वारा खरीफ व रबी में धारा 144 लगाकर तथा डी.एफ.एस.सी, डी.पी.आर.ओ, पशुपालन, कृषि विभाग व सामाजिक संस्था का सहयोग लेकर इस अवशेष जलाने की बुराई को रोकने में काफी सफल रहा है।

पलवल जिले में खरीफ 2017 में धान फसल की कटाई के बाद फसल अवशेष जलाने वाले 22 किसानो पर 55000 रू का जुर्माना किया गया है।जिला प्रशासन व कृषि विभाग के प्रयास से जिले की ग्राम पंचायत के द्वारा अपने स्तर पर सक्रिय भूमिका निभाई गई। पलवल जिले मे राजुपुर खादर पलवल खण्ड में तथा टिकरी गुजर हसनपुर खण्ड में परम्परागतक कृषि विकास योजना में जैविक खेती कलस्टर बनाऐ गये है। इनमें किसान रसायनमुक्त खेती कर रहे है।इन जैविक खेती कलस्टर गाँव के किसान दूसरे किसानो को भी फसल अवशेष भूमि मिलाकर कम लागत से ज्यादा पैदावार के गुर सिखा रहे है।

उपनिदेशक ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा फसल अवशेष के निपटान के लिए उपयोगी कृषि यन्त्रो जीरो टिल, हेप्पी सिडर, सव सोयलर, रोटा वेटर, स्ट्रावेलर आदि पर अनुदान देकर किसानो को फसल अवशेष प्रबन्धन बारे प्रोत्साहित किया जा रहा है। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय, कृषि उर्जा व उघोग मंत्रालय भी मिलकर फसल अवशेष व बायो मास के निपटान के लिए दिल्ली विश्वविघालय की लिगनोसैलुलस बायो टेक्नोलोजी लैब के माध्यम से फसल अवशेषो से जैव इंधन बनाने पशुओ के लिए पौष्टीक चारा व बायो कम्पोस्ट बनाने के विकल्प खोजे है। फसल अवशेष से बायो फ्यिूल तैयार करने की तकनीक विकसित की गई है। इसके लिए भारत सरकार 1500 रू प्रति टन की दर से धान की पराली की खरीद करेगी। इसकी स्ट्रावेलर से गाठे बनाकर एन.टी.पी.सी (थरमल प्लांट)को देगी। इससे किसानो की 3000 रू प्रति एकड की आय होगी। पर्यावरण स्वचछ रहेगा तथा एन.सी.आर.पर्यावरण मुक्त बन जाएगा।

उन्होंने बताया प्रदेश सरकार किसानो को फसल अवशेषो का उपयोग ईट, भट्टों मे ईधन के रूप में कोयले के साथ करवाकर किसानो को प्रति टन अवशेष से 4 से 5 हजार रूपये कमवाना चाहती है। प्रदेश में 2947 ईट, भट्टे है। सरकार ने जिला खाद व आपूर्ती तथा उपभोक्ता मामले के नियन्त्रक को इस बारे में निर्देश दिये है। ईट, भट्टों में ईट पकाने के लिए फिलहाल कोयले का प्रयोग किया जाता है। 1 लाख ईट पकाने में 26 टन कोयला लगता था। लेकिन जिंगजैक सिस्टम से मात्र 16 टन कोयला ही लगेगा।अब कोयले के साथ फसल अवशेषो को प्रयोग होने से कोयले की खपत ओैर कम होगी। इसके लिए किसानो को स्ंवय फसल अवशेष भट्टो तक पहूचाने होंगे। इससे किसानो को अतिरिक्त आय होगी। प्रदुषण व स्मोग की विकराल होती समस्या से निजात मिलेगी तथा फसज अवशेषो का उचित प्रबन्धन एंवम बिक्री होने से उन्हे खेतो में जलाने से मुक्ति मिलेगी तथा किसानो को अतिरिक्त आय भी होगी।