April 24, 2024

बेहरापन दिवस पर करे भगवान के अमूल्य उपहार की देखभाल : डॉ रवि भाटिया

Faridabad/Alive News : विश्व बेहरापन दिवस ( 25 सितंबर, 2016) हमे भगवान के द्वारा दिए गये सुनने की शक्ति के प्रति जागरूक रहने को समर्पित करने का दिवस है | भगवान के इसी अमूल्य उपहार की देखभाल से जुड़े मिथ्यों एवं तथ्यों के बारे में विस्तार से बता रहे है सर्वोदय अस्पताल के वरिष्ठ कान, नाक एवं गला रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि भाटिया कान व सुनाई देने की क्षमता हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है | हमारे ज्ञान का अधिकतम हिस्सा सुनने व आखों से दिखाई देने से ही आता है व इनके प्रभावित होने से हमारे जीवन में प्रतिकूल असर पड़ता है | नन्हे- मुन्हे बच्चे व कामकाज करने वाले स्वास्थ्य युवा बहरेपन से होने वाले नुकसान की वजह से आगे बढ़ने व पारिवारिक योगदान से वंचित रह जाते है |

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आज कल के महानगर के माहौल में ध्वनि प्रदूषण हमारे जीवन में सभी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है । अत्यधिक ध्वनि के माहौल में रहने से हम हमेशा के लिए बहरेपन का शिकार भी हो सकते है साथ ही अधिक शोर हमे मानसिक तनाव, ऐसिडिटी व अत्याधिक ब्लड प्रेशर की तरफ भी अग्रसर करता है। कानो में लंबे समय व तेज़ आवाज के साथ ईयरफोन का इस्तेमाल भी बहरेपन का कारण बन सकता है हमारे देश में परंपरागत कान के इलाज के तौर पर नवजात बच्चो व बड़े लोगो के कान में होने वाली हर तकलीफ का हल कान में तेल डालना माना जाता है जबकि यह फायदा न करके नुकसान जरूर करता है | कान में तेल डालना एक संक्रमण को उत्तेजित करता है | हमारे समाज में कान में तीली व कान में बड्स डालना मैल को बाहर नहीं बल्कि अन्दर धका दे कर आपकी तकलीफ को ओर बढ़ावा देते है | हँसी मजाक व गुस्से में की गयी हल्की सी चोट पर भी कान के पर्दे का फट जाना सामान्य सी बात है और समय समय पर सामान्य इलाज़ से इनका इलाज़ संभव है |

अत्यधिक ध्वनि व शोर में रहने से हमारे कान की सुनने के क्षमता हमेशा के लिए कमजोर व ख़त्म भी हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप आये बहरेपन का कोई ईलाज नही है इसलिये रोकथाम व बचाव की जागरूकता ही इसका इलाज़ है | बी० पी० एवं मलेरिया की कुछ दवाइयाँ व अन्य लंबी बीमारी में ली जाने वाली कुछ दवाएं भी बहरेपन का कारण बन सकती है इसलिए शंका होने पर तुरंत डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए। बढ़ती उम्र के साथ आने वाला बहरापन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसे समय- समय पर कान की जाँच करवाकर एवं उसकी देखभाल के प्रति सचेत रहकर टाला जा सकता हैं।

कानों की श्रवण क्षमता के कम होने पर देशी टोटके के बजाय समय पर सही मशीन का चुनाव करके ज्यादा उपयोगी इलाज मिलता है। बचपन में कान में मवाद आना भी बहरेपन का कारण बन सकता है इसलिए समय पर किसी अनुभवी कान, नाक एवं गला रोग विशेषज्ञ से आप्रेशन द्वारा इस खतरे से भी बचा जा सकता है । बार-बार चक्कर आना, उल्टी आना एवं सरदर्द भी कान में बीमारी होने के सूचक हो सकते है इसलिए इन लक्षणों में भी डॉक्टरी सलाह ही सर्वोपरि होती है|