April 27, 2024

सर्व शिक्षा अभियान के तहत करोड़ों खर्च नहीं कर पाया विभाग

Ambala/Alive News : सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2018 में जिला शिक्षा विभाग के लिए &6 करोड़ 50 लाख रुपये का बजट स्वीकृत हुआ लेकिन इसमें से फरवरी तक शिक्षा विभाग केवल करोड़ 71 लाख रुपये ही खर्च कर पाया। यानी 2&.79 करोड़ रुपये अभी तक शिक्षा विभाग खर्च नहीं पाया। शैक्षणिक सत्र खत्म होने में अब बस एक माह ही शेष है। यदि इस अवधि में यह राशि खर्च नहीं हुई तो लैप्स हो जाएगी। करीब करोड़ रुपये एक माह में खर्च होने संभव नहीं है।

दरअसल, जिला विकास, समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में सर्व शिक्षा अभियान के मद नंबर 18 के तहत डिस्ट्रिक प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर रङ्क्षवद्र अहलावादी ने बताया कि लर्निग एनहांसमेंट प्रोग्राम के तहत लाख रुपये ब‘चों पर खर्च किए, लेकिन कुल स्वीकृत बजट रिपोर्ट में 76.65 लाख था। यह देख निगरानी समिति के सदस्य रितेश गोयल ने सवाल किया कि 66 लाख आप क्यों नहीं खर्च पाए? इस पर डीपीसी ने कहा कि हमारे पास अभी इतने ही आए हैं। जैसे ही 66 लाख रुपये आएंगे उनको भी खर्च कर दिया जाएगा।

इससे मामला भडक़ गया और रितेश गोयल के साथ सदस्य राज सिंह से सवाल करते हुए कहा कि 11 माह में तो लाख और अब आप 1 माह में 66 लाख कैसे खर्च करेंगे? इससे तो फंड का दुरुपयोग होगा। इस पर एडीसी ने बात संभाली और कहा कि यदि राशि खर्च नहीं हुई तो सरकारी खजाने में चली जाएगी और अगले साल के बजट में जुड़ जाएगी। इसी तरह सिविल वर्क के लिए 22 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत रिपोर्ट में दिखाया गया और महज 1& करोड़ ही शिक्षा विभाग खर्च पाया। बड़ी बात यह है कि साल में 50 लाख रुपये इनोवेटिव कार्य यानी कोई नवीनतम पहल सरकारी स्कूलों में शुरू करने के लिए सरकार ने जारी किए थे जिनमें से &6 लाख विभाग खर्च नहीं पाया।

मतलब कोई नवीनतम पहले न तो शिक्षा विभाग कर पाया न ही किसी स्कूल व प्रशासन न पहल की। अब यदि इस राशि को &1 मार्च तक खर्च नहीं किया गया तो यह लैप्स हो जाएगी। 1 करोड़ बाकी, जो एक माह में खर्च नहीं हो सकते लाख रुपये ब‘चों पर खर्च किए गए योजना के तहत करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया है शिक्षा विभाग।

दिव्यांग विद्यार्थियों पर खर्चे 14.64 लाख
दिव्यांग विद्यार्थियों पर शिक्षा विभाग ने सालभर में 14.64 लाख रुपये खर्चे जबकि बजट 29.22 का था ऐसे में करीब 15 लाख यहां भी खर्च नहीं हुए। विभिन्न स्कूलों की मरम्मत के लिए 58 लाख आए इनमें से 56.70 लाख ही खर्च हो सके। इसी तरह ब्लॉक रिसोर्स सेंटर एक्सपर्ट के लिए 1.84 लाख में से 1. करोड़, प्रबंधन और गुणवत्ता पर 1.40 करोड़ में से 90 लाख, आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रन के लिए 22.92 लाख में से महज 80 हजार, टीचर्स सेलरी एंड वर्क एजुकेशन के 27 करोड़ रुपये में से छह करोड़ 87 लाख रुपये ही शिक्षा विभाग खर्च कर पाया।