March 29, 2024

आपदा राहत पूर्वानुमान मॉडल बाढ़ से जान-माल व राहत का आकलन करने में सक्षम

Faridabad/Alive News : वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में सहायक प्रोफेसर डॉ.संजीव गोयल द्वारा आपदा राहत प्रतिक्रिया के लिए विकसित पूर्वानुमान मॉडल अमेरिका में नदियों की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में जरूरी प्रारंभिक संसाधनों के आकलन में प्रभावी साबित हुआ है। डॉ. गोयन द्वारा यह मॉडल अमेरिका के पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय, पेंसिल्वेनिया में अपने पोस्टडॉक्टरल अध्ययन के दौरान विकसित किया है। पिट्स स्वानसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में सहायक प्रोफेसर (इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग) डॉ. लुईस लुआंग केर्सोन की देखरेख में किया गया।

यह अध्ययन आपदा प्रतिक्रिया में पूर्वानुमान मॉडल के प्रयोग पर केन्द्रित था जो बड़े स्तर पर आने वाली बाढ़ के बाद खाद्य सामग्री तथा आश्रय जैसी जरूरतों को पूरा करने में प्रभावी साबित हुआ। मॉडल के शुरूआती परिणामों को अमेरिका के ओकलाहोमा तथा मिसौरी राज्यों में इसी वर्ष ग्रीष्मकाल के दौरान आई बाढ़ के दौरान प्रयोग किया गया। इस पूर्वानुमान मॉडल की मदद से अमेरिकन रैड क्रॉस शुरूआती वित्तीय आकलन करने में सफल रहा, जो नदियों के कारण आने वाली बाढ़ के ‘शून्य’ दिवस पर सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस मॉडल के कारण लोगों के लिए जरूरी आश्रय तैयार करने तथा खाद्य सामग्री का प्रबंध करने में भी काफी मदद मिली। वाईएमसीए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.दिनेश कुमार ने डॉ.गोयल को अध्ययन की सफलता पर शुभकामनाएं दी है।

डॉ.दिनेश कुमार ने कहा कि आपदा प्रतिक्रिया के लिए जरूरी संसाधनों के पूर्व आकलन का मॉडल एक महत्वपूर्ण अध्ययन है जिससे देश में प्रतिवर्ष बाढ़ जैसी आपदाओं से होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। यह मॉडल आवासीय क्षति के पूर्वानुमान तथा इसके परिणाम स्वरूप उत्पन्न होने वाली खाद्य तथा आश्रय जरूरतों के आकलन में सक्षम है।

इस पूर्वानुमान को आपदा राहत के लिए जरूरी रसद, मानवबल तथा वित्तीय संसाधनों के आकलन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। डॉ. गोयल ने दावा किया कि यदि आंकड़े उपलब्ध होने पर इसी तरह का मॉडल देश के लिए तैयार किया जा सकता है ताकि चेन्नई बाढ़ जैसी परिस्थिति उत्पन्न होने पर काफी जान बचाई जा सकती है। इस प्रकार, यह मॉडल न केवल काफी लोगों की जान बचाने में सक्षम है, बल्कि इससे वित्तीय प्रबंधन में भी मदद मिलेगी।