May 2, 2024

नेचर से दूरी लोगो को बना रही है मानसिक रोगी

वॉशिंगटन: जिंदगी की भाग-दौड़ ने लोगों का सुकुन छीन-सा लिया है। और लोगों ने इसे ही सुकुन समझ लिया है। पैसे कमाने की होड़ छोटे-छोटे गांवों से लोगों को शहरों की ओर आकर्षित कर रही है। ऐसे में लोगों के लिए यहां घर लेकर रह पाना मुश्किल होता जा रहा है। लोगों की इस पैसा कमाने की ज़द्दोजहद को देखते हुए जगह-जगह से पेड़ काटे जा रहे हैं। पार्कों को हटा कर फ्लैट बनाए जा रहे हैं। यह भाग-दौड़ भरी जिंदगी लोगों को प्रकृति से दूर ले जा रही है।

शहरी लोगों में आमतौर पर मानसिक रोग और खराब मूड की समस्याएं देखी जाती हैं, जिसका कारण हमें उनका बिजी रहना लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है। वहीं, अगर आपने ग्रामीण लोगों को नोटिस किया हो, तो उनमें इस तरह की समस्याओं की शिकायत नहीं मिलेगी। क्या आपने कभी सोचा है कि इसका कारण क्या है? एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि इसका कारण शहरी लोगों में प्रकृति से बढ़ती दूरी है। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के प्रोफेसर पीटर काह्न ने बताया, “हमारे रोग की विशाल संख्या काफी हद तक प्राकृतिक वातावरण से हमारी दूरी से संबंधित है।”

पीटर ने बताया, “शहरों में बच्चे बड़े होने के दौरान कभी भी आसमान के सितारों को नहीं देख पाते हैं। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आप अपने पूरे जीवन में तारों से जगमगाते आसमान के नीचे न चलें हों और फिर भय, कल्पना और कुछ खो जाने के बाद वापस उसे पाने की भावनाएं विकसित होती हों? ” उन्होंने कहा, “बड़े शहरों को बनाने में हम यह नहीं जान पा रहे हैं कि कितनी तेजी से हम प्रकृति के साथ अपने संबंधों को कम कर रहे हैं, खासकर वन्य जीवन से, जो हमारे अस्तित्व का स्रोत है।”

प्राकृति से जुड़ने के आसान उपाय
पीटर ने कहा कि बड़े शहरों में कुछ भी प्राकृतिक नहीं है। उन्होंने शहरी लोगों से प्रकृति से जुड़ने के लिए कुछ आसान उपाय अपनाने के लिए कहा। उनका कहना है कि ऐसे घर बनाने चाहिए जिसमें खिड़की के खुलने पर ताजी हवा और प्राकृतिक रोशनी अंदर आ सके। घर की छत पर अधिक से अधिक बागीचे लगाए जाने चाहिए। इसके साथ ही घर के आस-पास स्थानीय पौधे लगाएं।

उन्होंने कहा कि प्रकृति से जुड़ाव का इससे सीधा संबंध बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। दफ्तर की खिड़की के पास पेड़-पौधों को देखना अच्छा लगता है, लेकिन बाहर निकलकर घास के मैदान पर नंगे पांव बैठकर दोपहर का खाना की बात ही कुछ और है। और इसका लाभ भी कुछ और ही होगा। यकीन न आए तो लाइफ में इन्हें एक बार अपना कर देख लें, अंतर आपको खुद-ब-खुद पता लग जाएगा।