April 23, 2024

क्या लड़कियां करती हैं लड़कों को स्टॉक ?

‘पुलिस एक औरत के ख़िलाफ़ स्टॉकिंग का केस कैसे दर्ज़ कर सकती है? ये हो ही नहीं सकता. इस बात को माना ही नहीं जा सकता.’

दिल्ली हाई कोर्ट ने ये बात एक महिला पर स्टॉकिंग का केस दर्ज कर गिरफ़्तारी किए जाने के एक मामले में पुलिस से कही. महिला वकील दीपा आर्या का आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने उनके घर का दरवाज़ा तोड़कर उन्हें घर से घसीटकर बाहर निकाला. पुलिस ने ये कार्रवाई एक प्रॉपर्टी केस में जुड़ी शिकायत पर की थी. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय से इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए पांच जनवरी को होने वाली सुनवाई से पहले रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है.

क्या महिलाएं स्टॉकिंग नहीं कर सकतीं, क़ानून क्या है?
इस सवाल का जवाब खोजने के क्रम में ये समझना ज़रूरी है कि स्टॉकिंग को लेकर नियम क्या हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 354-D के मुताबिक़, अगर कोई महिला स्पष्ट तौर पर अपनी असहमति जता चुकी हो, इसके बावजूद कोई पुरुष उस महिला से संबंध बढ़ाने, पीछा करने की कोशिश या ऐसे घूरे जिससे महिला सहज महसूस न करे और मानसिक प्रताड़ना महसूस करे तो ऐसा करने वाले पुरुष को स्टॉकिंग का अपराधी माना जाएगा. ये सारे काम अगर कोई पुरुष इंटरनेट, ई-मेल या फ़ोन के ज़रिए कर रहा है तो ये भी स्टॉकिंग ही मानी जाएगी. इसमें दोषी पाए जाने वाले पुरुष को पांच साल तक की सज़ा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है. 2012 में दिल्ली में निर्भया गैंग रेप केस के बाद ‘क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट’ के तहत ‘स्टॉकिंग’ यानी ग़लत इरादे से महिला का पीछा करने को दंडनीय अपराध माना गया था. इस क़ानून पर गौर किया जाए तो ये मान लिया गया है कि स्टॉकिंग पुरुष ही कर सकता है.

पुरुषों के लिए नहीं है क़ानून?
शायद आपको ताज्जुब होगा कि अगर एक लड़के के साथ स्टॉकिंग की घटना होती है या एक महिला पुरुष का रेप करती है तो इसको लेकर कोई क़ानून नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील रेखा अग्रवाल बताती हैं, ”आईपीसी 354-डी सिर्फ़ पुरुषों पर लागू हो सकती है, ये औरतों पर नहीं लागू होगा. आईपीसी में महिलाओं की स्टॉकिंग को लेकर कोई स्पेशल क़ानून नहीं है. आज 21वीं सदी में जब हम मॉर्डन इंडिया की बात करते हैं तो जो काम लड़के कर सकते हैं, वो लड़कियां भी कर सकती हैं. इसमें स्टॉकिंग भी शामिल है. मेरा मानना है कि लड़कियों की स्टॉकिंग को लेकर कोई क़ानून नहीं है.”

राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ललिता कुमार मंगलम लड़कियों की ओर से स्टॉकिंग करने को लेकर कोई क़ानून न होने पर हैरानी जताती हैं. वो कहती हैं, ”अगर महिलाएं कहती हैं कि बराबरी हो तो अपराध करने पर मिलने वाली सज़ा की भी बराबरी होनी चाहिए. अगर कोई महिला स्टॉक करती है तो इसको लेकर भी क़ानून होना चाहिए. अगर कोई पुरुष अपने साथ हुई स्टॉकिंग का सबूत देता है तो इसको लेकर भी कानून हो, जिसके तहत सजा दी जा सके.” सुप्रीम कोर्ट के वकील ऋषि मल्होत्रा कहते हैं, ”अगर आप स्टॉकिंग की परिभाषा देखें तो ये मान लिया गया है कि अभियुक्त हमेशा पुरुष और पीड़ित हमेशा महिला ही होगी. इसमें आदमी के महिला का पीछा करने, घूरने की ही बात करता है. जब तक संशोधन करके क़ानून में ‘आदमी’ की जगह ‘एनी पर्सन’ यानी कोई भी शख्स (महिला, पुरुष दोनों) कर दिया जाए तो ज़्यादा ठीक रहेगा.”

स्टॉकिंग होने पर क्या करें लड़के?
रेखा अग्रवाल कहती हैं, ”लड़कों के साथ अगर स्टॉकिंग की घटना होती है तो हैरेसमेंट की एफआईआर दर्ज की जा सकती है. ऋषि मल्होत्रा कहते हैं, ”ये बहुत ग्रे एरिया है. स्टॉकिंग का कानून तो साफ तौर पर ये मानता है कि पुरुष ही स्टॉकिंग करते हैं. अगर रेप से जुड़ी आईपीसी की धारा 375 की बात करें तो उसमें भी रेप करने वालको पुरुष कहकर ही परिभाषित किया गया है. अगर आईपीसी की इन धाराओं की बात करें तो एक महिला को स्टॉकिंग या रेप के लिए नहीं गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.” स्टॉकिंग होने पर लड़के क्या कर सकते हैं. इसका जवाब देते हुए ऋषि मल्होत्रा कहते हैं, ”लड़के स्टॉकिंग का कोई केस दर्ज ही नहीं कर सकते. कानून ने अभियुक्त सिर्फ पुरुष और पीड़ित सिर्फ महिला को माना है. ये भेदभाव करने वाला कानून है. आज की तारीख़ में अगर कोई लड़का कहे कि उसके साथ रेप हुआ है तो ये जान लें कि उसके पक्ष में कोई कानून नहीं है. सेक्सुअल हैरसमेंट को लेकर 354-ए है, उसकी परिभाषा के मुताबिक, उत्पीड़न करने वाला पुरुष ही होगा.” वहीं, रेखा अग्रवाल कहती हैं, ”महिलाएं अगर स्टॉकिंग भी करती हैं तो वो सामने नहीं आ पाती हैं. एक तरह का डर महिलाओं के अंदर भी रहता ही है. महिलाओं के लिए भले ही कोई कानून नहीं है लेकिन स्टॉकिंग महिलाएं भी करती हैं.”
बातचीत के आख़िर में वकील ऋषि मल्होत्रा कहते हैं, ”सारे कानून में पुरुष की ही अभियुक्त माना गया. कुछ हुआ तो मैं खुद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करूंगा.” हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि स्टॉकिंग की ज़्यादातर घटनाएं महिलाओं के साथ होती हैं. ‘नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो’ के मुताबिक, साल 2015 में ‘स्टॉकिंग’ के 6,266 मामले दर्ज हुए. ज़ाहिर है रिपोर्ट हुए ये सारे मामले महिलाओं के साथ हुई स्टॉकिंग के थे, पुरुषों के साथ हुई स्टॉकिंग के नहीं.