April 26, 2024

महानपुरूषों और शहीदों को जाति, बिरादरियों में ना बांटे : महामंडलेश्चर कामतादास

Palwal/Alive News : समरस गंगा महोत्सव का समाज के लोगों ने जगह-जगह पर पलके बिछा कर स्वागत किया है, यह देश के लोगों को एक जुट करने का एक श्रेष्ठतम प्रयास साबित होगा। यह शब्द पंचवटी धाम के महंत महामंडलेश्वर कामतादास ने बैठक कर लोगों को संबोधित करते हुए कहें। उन्होनें बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व समाज के लोगों के द्वारा 31 दिसंबर को आयोजित किया जाने वाले समरस गंगा महोत्सव में याद करों कुर्बानी शहीद सम्मान यात्रा और समरसता का जोरदार स्वागत कर यह साबित कर दिया है कि समाज संगठित होने के लिए तैयार है बस जरूरत है तो एक प्रयास की।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम समरस गंगा महोत्सव में अब तक आयोजन समिति द्वारा शहीदों के गांव से रज एकत्र कर जिलें के 298 गांवों में कलश स्थापना का आयोजन किया जा चुका है और 347 स्थानों पर समाज के लोगों के द्वारा यज्ञों का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि आयोजन समिति समरस गंगा कार्यक्रम को लेकर समाज के उत्साह को देख 700 से ज्यादा स्थानों पर बैठकों का आयोजन कर हजारों लेागों को समरस गंगा महोत्सव से जोडऩे का कार्य कर चुकी है।

महामंडलेश्चर कामतादास ने दादा कान्हा का वर्णन करते हुए कहा कि महानपुरूष और शहीद किसी एक का नही होता वह पूरे समाज का, पूरे देश का होता है इसलिए दादा कान्हा को इस अवसर पर याद करके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में समरसता को मजबूत करने की नींव रखी है। उन्होंने समाज से आग्रह किया कि वे महानपुरूषों और शहीदों को जाति, बिरादरियों में ना बांटे क्योंकि उन्होंने अपना बलिदान पूरे देश व समाज के लिए दिया है।

उन्होंने इस अवसर पर उदाहरण देते हुए कहा कि कबीरदास व संत रविदास का वर्णन करते हुए कहा कि उन्होंनें इतने महान होते हुए भी अपने-अपने कार्य को नही छोड़ा क्योंकि उनका उद्देश्य समाज को संदेश देना था कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नही होता। उन्होंने बताया कि कार्य करने की भावना स्वच्छ होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि समाज के लिए किए जाने वाले कार्यक्रम समरस गंगा महोत्सव में जिलें के हजारों गणमान्य व्यक्ति अपनी भागीदारी निभाएगें।