April 25, 2024

पूर्व BSP विधायक फुटपाथ पर रहने को हैं मजबूर, पत्नी सड़क सेक रही रोटियां

होशियारपुर (पंजाब) : पंजाब के होशियारपुर जिले में मानसून से पहले हो रही बारिश से गढ़शंकर शहर में रहने वाले पूर्व विधायक शिंगारा राम साहूंग्रा और उनके परिवार के लिए मुसीबत बन के आई है। सड़क किनारे फुटपाथ पर रह रहे शिंगारा और उनका परिवार बारिश से बचने के लिए अपने सामान को ढकने के लिए तिरपाल ढ़ूढना शुरु करते हैं और फिर पूरा परिवार एक टीन शेड के नीचे लोहे की चारपाई पर बैठ जाता है। यह हालात किसी आम शख्स की नहीं हैं बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की हैं जो दो बार पंजाब से बसपा विधायक रह चुका है, लेकिन आज उसके पास रहने के लिए एक अदद छत नहीं है।

एक अख़बार के मुताबिक, विधायक का परिवार पिछले कुछ वर्षों से सिचाईं विभाग के एक घर में अवैध रुप से रह रहा था। अंत में सरकार ने उन्हें रविवार को घर से बाहर निकालने का निर्णय लिया। शायद वो एकमात्र ऐसे विधायक होंगे जो दो बार विधायक रहने के बावजूद भी इतने वर्षों में अपने लिए एक घर नहीं बनवा सके।

शिंगारा बताते हैं, “मुझे पूर्व विधायक होने के नाते 20 हजार रुपये मासिक पेंशन मिलती है, उसी में से मैं अपने लिए किराए के घर की तलाश कर रहा हूं, लेकिन जब तक घर नहीं मिल जाता तब तक मैं खुले आसमान के नीचे ही रहूंगा।” यहां तक कि विधायक की पत्नी भी फुटपाथ पर ही रोटी बना रही है और अब यहीं उनका किचन है। उनके दो बेटे भी उन्हें खाना बनाने में मदद कर रहे हैं। शिंगारा शाहूंग्रा 1992 और 1997 में दो बार गढ़शंकर की विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं जो कि सामान्य सीट थी जबकि वो खुद अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं। शाहूंग्रा बताते हैं, “कांशीराम के परिवार का पक्ष लेने के कारण मुझे बसपा से निकाल दिया गया, क्योंकि परिवार अंतिम दिनों में कांशीराम से मिलना चाहता था।”
कांधी कैनाल के अधिशाषी अभियंता विजय बताते हैं “उनके विभाग को पहले ही विधायक के परिवार से घर खाली कराने का आदेश मिल गया था और फिर 2005 में अदालत ने भी आदेश दे दिया था। हमने उनसे घर को खाली कराने के कई प्रयास किए लेकिन हम नाकाम रहे लेकिन मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद पुलिस की मदद से हमने घर खाली करवाया।

शाहूंग्रा बताते हैं, “मैंने कांशीराम के मिशन को पूरा करने के लिए राजनीति में प्रवेश किया तांकि निचले तबके के लोगों की सेवा कर सकूं। मैंने अपने दो बार के विधायक कार्यकाल में कभी भी पैसा कमाने की कोशिश नहीं की। यदि आज मैं इस हालत मैं हूं तो इसके पीछे सिर्फ एक कारण है कि मैंने भ्रष्टाचार में लिप्त होने से इंकार कर दिया था। जब मैं विधायक था तो इतनी सैलरी नहीं मिलती थी कि उससे घर बना सकूं और अब मैं अपनी पेंशन के सहारे जी रहा हूं। मैंने कभी भी बिजनेस करने की नहीं सोची।”

विडंबना यह है कि शाहूंग्रा का बड़ा भाई भी एक दिहाड़ी मजदूर है जो मकान बनाने में राजमिस्त्री के रूप में कार्य करता है जबकि छोटा भाई भी ग्रीस में मजदूर है।