April 26, 2024

…. फिर लोगों को याद आएंगे ‘स्वतंत्रता सेनानी’

परिंदों की आरामगाह बनकर रह गए स्वतंत्रता सेनानी

Poonam Chauhan/Alive News : कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों… ये लाईने शायद सभी ने सुनी होंगी और कभी न कभी गुनगुनाई भी होगी। आजादी के परवानों की बात है ही कुछ ऐसी। स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस ऐसा हो ही नहीं सकता कि इनको याद न किया जाए। लेकिन सोचिए जरा क्या हमें इन खास दिनों के अलावा भी कभी इनकी याद आती है? स्वत्ंात्रता सेनानियों के सम्मान में चौक-चौराहों पर उनकी मूर्तियां लगाई गई है पर क्या वाकई में इनका सम्मान हो रहा है? सालो बीत जाते है लेकिन हमें सिर्फ यह इनके जन्मदिवस या पुण्यतिथि पर ही क्यों याद आते हैं, बाकी दिन ये मूर्तियां किस कंडीशन में होती है हमें नहीं पता।

शहर के चौक-चौराहों पर लगी मूर्तियां धूल और मिट्टी से भरी रहती है, लेकिन इनकी साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। आपको बता दें, कौआ और कबूतर इस पर बैठते है और बीट करते है लेकिन इनकी ये दुर्दशा किसी को भी नजर नहीं आती है। शहर के चौक-चौराहों पर खड़ी इन हस्तियों की मूर्तियां धूल मिट्टी और सुखी फूल मालाओं से लतपत लगता है मानो किसी मकान के अंधेरे कमरे में पड़ा पुराना सामान है। ऐसी स्थिति में राजनैतिक एवं सामाजिक लोगों की इनके प्रति जिम्मेदारी नहीं बनती कि इनकी समय-समय पर साफ-सफाई और उस स्थान का सौर्दयकरण किया जाए।

राजनीतिक दलो के नेता समाचार पत्रों की खुर्शियों बटोरने के लिए इन हस्तियों की मूर्तियों पर माला अर्पण करने के लिए पहुंच जाते है लेकिन अपना काम पूरा होने के बाद उक्त स्थान को कचरे के ढ़ेर में बदलने के बाद पीछे मुडकर नहीं देखते। यह विडम्बना इन महापुरूषो की नहीं बल्कि आज के परिदर्शय में चल रही सोशल मीडिया पर फोटो सेशन की होड़ ने सभी मर्यादाओं को पीछे छोड़ दिया है।

– स्टैचू प्वाइंट बना पक्षियों की आरामगाह
स्टैचू प्वाइंट शहर भर के पक्षियों का ठिकाना बन गए है, यहां परिंदे आते है और कुछ देर आराम करके आस-पास गंदगी फैलाकर और स्वतंत्रता सेनानियों को गन्दा करके चले जाते है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को इन स्वतंत्रता सेनानियों की कहां फीर्क है जो इनकी साफ-सफाई पर ध्यान देंगे।

– सफाई को आगे आए लोग
चौक-चौराहो का नाम किसी महापुरूष के नाम पर रखने या फिर किसी की मूर्ती लगाने के लिए आपने कई गु्रपों को आपस में भिड़ते देखा होगा। लेकिन सोचिए जरा कितने गु्रप हैं जोकि मुर्तियां स्थापित करने के बाद उनकी देखरेख का पूरा जिम्मा उठाते है और साफ-सफाई करते है, तो शायद जवाब होगा नही। क्यों हम इनकी सफाई के लिए आगे नहीं आते? राजनीतिक लोगों को राजनीति से हटकर सोचने की आवश्यकता है असल मायने में तभी इन महापुरूषों का सम्मान होगा।

– राष्ट्रीय हस्तियों के प्रति हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि उनके सम्मान में काम करे। इस कार्य के लिए प्रशासन और सरकार से ज्यादा सामाजिक संस्थाएं और हर वह नागरिक जिम्मेदार है जो शिक्षित है। एक-दूसरे पर उंगली उठाने से कुछ नहीं होने वाला आगे आकर हर व्यक्ति को हमारे देश की प्रभुतियो के प्रति नैतिक जिम्मेदारी लेनी होगी। फोटो सेशन तक ही लोगों को सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उनके सम्मान में हर समय हर दिन तैयार रहना चाहिए।
-डॉ.जगदीश चौधरी, चेयरमैन, बालाजी कॉलेज।

– वत्र्तमान सरकार वोट बैंक के लिए महापुरूषों का इस्तेमाल कर रही है। हमारी सरकार में हर चौक-चौराहे तथा वहां लगी महापुरूषों की प्रतिमाओं की समय-समय पर सफाई होती थी। उनके सम्मान से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। जिन्होंने देश के विरूद्ध काम किया (श्यामा प्रसाद मुखर्जी) सिर्फ उनका सम्मान चाहते है। महापुरूषों की मूर्तियों पर ये सरकार ध्यान नहीं दे रही है, तो इन महापुरूषो के सम्मान के लिए हम आवाज उठाऐंगे और काम करेंगे।
– विकास चौधरी, प्रवक्ता, प्रदेश कांग्रेस कमेटी।

– क्या कहती हैं विधायक
महापुरूषों की मूर्तियों के आस-पास के स्थान को संस्था या राजनीतिक लोग गंदा करते है। इनकी सफाई की जिम्मेदारी सार्वजनिक है न कि अकेले प्रशासन की। सफाई अभियान पर कहा कि हां भाजपा सरकार का मुद्दा है, अगर कहीं ऐसा हो रहा है तो अधिकारियों को बोल कर सफाई करा दी जाएगी।
– सीमा त्रिखा, विधायक, बडख़ल।