April 20, 2024

GST का असर : सोने से चार गुना महंगा हुआ ‘सैनिटरी पैड’

दुनिया मेन्स्ट्रूअल कप से लेकर रीसायकल होने वाले पैड तक पहुंच चुकी है और हमारे यहां औरतें पैड खरीद तक नहीं पा रही हैं. इंडिया में केवल 5 में से 1 औरत ही पैड अफोर्ड कर सकती है. वजह है इनके दाम और इनके प्रति औरतों को जागरूक न करना. ‘इतिहास के सबसे बड़े’ टैक्स रिफॉर्म GST ने भी इस मामले में निराश ही किया है. सरकार ने जो टैक्स-स्लैब बनाए हैं, उनके मुताबिक सोने पर 4% टैक्स लगेगा और सैनिटर पैड पर 12%.

जब बात कॉन्डम या गर्भ निरोधन की थी, सरकार ने तगड़ा कैंपेन चलाकर लोगों को जागरूक किया. इसी तरह HIV और पोलियो के खिलाफ भी सफल कैंपेन चल चुके हैं. और इस समय जब स्वच्छ भारत अभियान जोरों पर है, ये अजीब बात है कि सरकार शौच में हाइजीन की बात तो कर रही है, मगर औरतों के हाइजीन की बात नहीं कर रही. GST का टैक्स स्लैब तो कम से कम यही बताता है. और ये तब है जब महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले गुट लगातार सरकार से पैड्स पर टैक्स माफ करने की अपील करते रहे हैं.

इसी साल अप्रैल में भी ‘शी सेज़’ (she says) नाम के एक ग्रुप ने #LahuKaLagaan नाम का एक कैंपेन लॉन्च किया था जो सेनेटरी नैपकिन पर लगे टैक्स को हटवाने के लिए था. कैंपेन ने सोशल मीडिया पर आग पकड़ ली थी और लड़कियां लगातार अरुण जेटली को टैग कर अपील कर रही थीं कि ये टैक्स ख़तम कर दिया जाए. इसके लिए उनकी जो दलीलें थीं, एकदम सटीक थीं.

1. हम अपने शरीर से निकलने वाली किसी भी चीज के लिए तो टैक्स नहीं भरते. क्या हमारे रोज रोज अपने घर में संडास जाने पर टैक्स है? फिर हमें पीरियड जैसी बेसिक चीज होने का टैक्स क्यों भरना पड़ता है, सेनेटरी नैपकिन खरीदने पर. अगर कॉन्डम टैक्स फ्री हो सकते हैं तो पैड क्यों नहीं.

2. औरतें कपड़ा, रेत, पत्तियां और न जाने क्या क्या, पैड के अभाव में यूज करती आई हैं. इससे उन्हें इन्फेक्शन होता है, मौत तक हो जाती है.

3. जब तक हम पीरियड के बारे में खुलकर बात नहीं करेंगे, ये उन औरतों तक कैसे पहुंचेगा जिनके पास अपनी बात कहने के लिए कोई माध्यम नहीं है. इनमें कई औरतें तो ऐसी हैं जिन्हें पता ही नहीं है कि सेनेटरी पैड नाम की कोई चीज होती भी है.