April 19, 2024

इन्द्रा कालोनी छेड़छाड़ मामला : शिकायत के बाद अध्यापक के बचाव में आए अधिकारी

32 अध्यापक और अध्यापिकाओं ने दिए ऐफीडेबिट

Faridabad/Alive News : इन्दिरा कालोनी स्थित सरकारी स्कूल के मास्टर इन्दर सिंह शर्मा को एक महिला अध्यापक की मद्द करने का खामियाजा इतनी बड़ी बदनामी से भुगतना पडेगा, यह उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा। मामला कोई था नही, बल्कि बना दिया गया। कहते है झूठ और चोर दोनों के पैर नही होते, झूठ का भी एक दिन पर्दाफाश होता है। मामला स्कूल की ही छात्रा के साथ छेड़छाड़ का बनाया गया।

इस पूरे प्रकरण के संयोजक मास्टर ओमपाल गुर्जर, जो कभी इस स्कूल के अध्यापक रहे हैं। इस बात का खुलासा मास्टर इन्दर सिंह ने 16 सितम्बर 2016 को इन्दरा कालोनी के स्कूल में भारी नुकसान होने के बाद अध्यापकों को बताया। उन्होंने बताया कि 15 सितम्बर को स्कूल के अध्यापक गिरिराज का करीब 8 बजे फोन आता है, और वह बताते है कि आपके खिलाफ कालोनी में ओमपाल ने बैठक की है, और कल स्कूल मत आना, हालांकि मास्टर इन्द्र सिंह बिमारी के कारण पहले से ही स्कूल से छुट्टियों पर चल रहे थे।

बैठक में आगामी घटना कि रणनीति तैयार की गई, जिसका सच 16 सितम्बर को स्कूल में हुई भारी तोडफ़ोड़ से लगाया गया। उस दिन पुलिस के सामने ही ओमपाल गूर्जर के दिशा-निर्देशन में कालोनी के 50-60 असामाजिक तत्वों ने अध्यापकों की गाडिय़ो पर पथराव किया और अध्यापकों की दो कारों के टायर सूए घोंपकर पूरी तरह से बेकार कर दिए, तथा स्कूल में जमकर तोडफ़ोड़ की गई।इस घटना को स्थानीय पुलिस मुकदर्शक होकर देखती रही, क्योंकि मामला मास्टर ओमपाल की रंजिश का था। इस बैठक में वल्र्ड विज़न नामक एक एनजीओ के लोग भी शामिल थे। हंगामे का मकसद पुलिस एंव प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाना था और मास्टर इन्दर सिंह के खिलाफ न केवल पोकसो एक्ट के तहत यौन उत्पीडऩ का केस दर्ज कराना था, बल्कि उनकी गिरफ़्तारी भी करानी थी।

बड़े मजे की बात तो यह है कि हंगामा होने से पहले ही मीडिया पहुंच जाती है, क्योंकि मीडिया मैनेजमेंट स्थानीय मंत्री विपुल गोयल का भतीजा और केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णापाल गूर्जर के मामा कर रहे थे। आखिरकार, ओमपाल की योजनाबद्ध तरीके से की गई कार्यवाही सफल हुई। इस हंगामे से प्रशासन पर दबाव बनाया गया, तोडफ़ोड़ और भारी भीड़ से पुलिस अधिकारियों ने अपने आप को बचाते हुए आनन-फानन में मास्टर के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कर ली गई और मास्टर जी की तलाश शुरू कर दी गई। बस सिर्फ बाकी थी तो गिरफ्तारी! साजिशकर्ता अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो पाया, क्योंकि मास्टर इन्दर शर्मा पुलिस के हाथे नहीं चढ़े और इससे पहले ही शिक्षा विभाग के अधिकारी और अध्यापक उनके पक्ष में आ गए।

जिसमें बीईओ रितु चौधरी, बीईईओ सरिता सूद, चिरसी की इन्चार्ज अनुराधा सेठी, दयालबाग की अध्यापिका अनिता मित्तल, अंजना देवी, अल्का रानी, मंजुला रानी, रजनी सिंह, सरिता, ममता गुप्ता, नीलम अरोड़ा, मीना कुमारी, खुशवन्त रानी, नीलम मदान, हर्षलता, रजनी, तनु, सुरेश कुमारी, सुमन, ललिता रानी, निर्मला राठी, वंदना और अध्यापकों में नरेन्द्र हुड्डा, रमेश, दिनेश कुमार सदपुरा, तेजपाल सिंह फरीदपुर, प्रेमदेव यादव, सतीश चंद ऐतमादपुर, अरूण कुमार, ज्ञानप्रकाश शर्मा, नारायण दत्त पाठक, राकेश कुमार, चतर सिंह, रामपाल, महेन्द्र सिंह ने संयुक्त रूप से लिखित में शपथ पत्र देकर कहा कि मास्टर इन्दर को वह सालों से जानते है और उनके साथ कार्य भी कर चुके है, उनका चरित्र और व्यक्तित्व ऐसा बिल्कुल नही है जैसे आरोप उन पर लगाए गए है।

उनके कार्यकाल में अभी तक उन पर कभी भी ऐसे आरोप नहीं लगे है, जो आरोप लगाए गए है वह सरासर निराधार और साजिश के तहत है। उधर, बीईओ रितु चौधरी का कहना है कि उनके अधीनस्थ मास्टर इन्दर ने कई सालों तक कार्य किया है और वह छात्रों को विभाग की ओर से कई बार टूर और अलग-अलग प्रतियोगिताओं में अपने साथ लेकर गए है, लेकिन उनकी दस सालों में कभी तककोई शिकायत नहीं आई। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को ओमपाल की साजिश बताया। दूसरी ओर कानून के जानकारों का कहना है कि ऐसे मामले ज्यादातर झूठे होते है। परन्तु यहां साजिश का षडयंत्र मास्टर जी के खिलाफ चल रहा था, जिसमें पुलिस ने भी जांच करने की कोशिश नहीं की और बिना जांच किए ही नामजद एफआईआर दर्ज करना पुलिस की नाकामयाबी है। इन मामलों में अदालतों के स्तर पर भी माईंड अप्लाई करने का रिवाज कम ही रह गया है। जो कहानी पुलिस बताती है उसे ही सत्यवचन मान लिया जाता है, बाद में बेशक आरोप झूठे ही साबित क्यों न हों।

शिकाय में आखिर देरी क्यों ?
अलाईव न्यूज टीम ने अपनी जांच में पाया कि शिकायकर्ता बच्ची और उसके अभिभावकों ने छेड़छाड़ अथवा यौन उत्पीडऩ की घटना घटित होने के सप्ताह भर बाद मामले की एफआईआर दर्ज कराई गई। आखिर इस मामले में इतनी देरी क्यों कि गई। शिकायतकार्ता बच्ची और उसके अभिभावकों ने आखिर क्यों हेड मास्टर को मामले से अवगत कराना जरूरी नहीं समझा और पुलिस के कोई कदम उठाने से पहले ही स्कूल में लोगों की भीड़ लेकर तोड़ फोड़ की गई और स्कूल की सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने के साथ ही स्कूल के दूसरे अध्यापकों को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई।

हेड मास्टर को नहीं दी शिकायत
शिकायतकर्ता छात्रा ने अध्यापक द्वारा कि गई छेड़छाड़ और यौन उत्पीडऩ की शिकायत न तो स्कूल के किसी अध्यापक से ही कि न ही हेड मास्टर सुरेन्द्र सिंह यादव को उक्त मामले से अवगत कराया। स्कूल प्रशासन को बिना बताए मामले को अंजाम देते हुए एफआईआर और स्कूल में तोड़ फोड जैसे अपराध को अंजाम दिया गया।

ओमपाल पढ़ाने में कम, प्रॉपर्टी में अधिक व्यस्त
अलाईव न्यूज टीम ने जांच में पाया गया कि ओमपाल गूजर पिछले 10 वर्षो से स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत था, लेकिन यह बच्चों को पढ़ाने में कम और स्कूल के लिए पैसा ड्रा करने और प्रॉपर्टी के कार्य में अधिक मशगुल रहता है, ओमपाल ने स्कूल के ही पास प्रॉपर्टी का ऑफिस भी बना रखा है, जिसमें असमाजिक लोगों का जमावड़ा लगा रहता है और क्षेत्र के लोगों में ओमपाल का दबदबा बना हुआ है।

इसी पावर का इस्तेमाल करते हुए ओमपाल ने शिकायतकर्ता की मां विमला उ$र्फ बवली को मिड-डे मिल बनाने की नौकरी दे दी थी। इसके अलावा कॉलोनी की 3 और महिलाओं को भी इसी नौकरी पर लगा चुका है। स्कूल के बाकी अध्यापक ओमपाल से खौफ खाते है। नाम न छापने की एवज में एक अध्यापक ने बताया कि ओमपाल का व्यवहार स्कूल में बिल्कुल सही नहीं है और यह टीचरों को तबादले की धमकी भी देता रहता है।

ओमपाल पर लग चुके है छेड़छाड़ के आरोप
मिली जानकारी के अनुसार ओमपाल गुजर पर साथ काम करने वाली महिला सहकर्मी अध्यापिका छेड़छाड़ का आरोप लगा चुकी हैं और मास्टर इन्दर ने महिला अध्यापिका के पक्ष में ब्यान दिया था। लेकिन अधिकारियों से सांठ-गांठ के चलते ओमपाल ने इस केस से खुद का बचाव किया और तत्कालीन जि़ला शिक्षाधिकारी रामकुमार पलसवाल से मिलीभगत करके महिला अध्यापिका को सस्पेंड करा दिया। लेकिन महिला की गवाही देने वाले मास्टर इन्दर का जानी दुश्मन बन बैठा।

वह मास्टर इन्दर को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है इसके बाद वह मास्टर जी को फसाने के लिए योजना बनाने लगा, जिसे उसने इस केस के माध्यम से अंजाम दिया। महिला अध्यापिका से छेड़छाड़ को लेकर विभागीय जांच बैठी और जांच उपरांत ओमपाल का तबादला मेवात कर दिया गया जहां पर वह कभी गया ही नहीं। स्थानीय सांसद एंव केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर की सि$फारिस से अपना तबादला वापस इसी जि़ले के वजीरपुर में कराने के बाद अपनी तैनाती एनआईटी-5 स्थित बाल सुधार गृह में करा लिया और फ्री टाईम में सोची समझी साजिश को अंजाम दिया।

एनजीओ का स्कूल में डाईरेक्ट हस्तक्षेप
ओमपाल गुजर की दोस्ती वल्र्ड विज़न एनजीओ के साथ है, जिसके कारण एनजीओ के कार्यकर्ताओं का डाईरेक्ट स्कूल में हस्तक्षेप है और किसी भी समय स्कूल और ओमपाल की क्लास में आते जाते रहते है। वल्र्ड विज़न एनजीओं की तरफ से स्कूल की छात्राओं को समय-समय पर अलग-अलग जगह टूर पर ले जाया जाता है। टूर के बारे में जब स्कूल के बाकी टीचरों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि हमें टूर कहां ले जाते है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन टूर तो जाता रहता है। मज़ेदार बात तो यह है कि शिकायतकर्ता बच्ची के हक में गवाही देने वाली 8-10 छात्राएं भी एनजीओ से जुडी हुई है और एनजीओ की एजेंट रेश्मा में उक्त मामले में शामिल है।

ACP बोली चल रही है जांच
महिला थाना एसीपी पुजा डावला ने उक्त मामले को लेकर कहा कि पुलिस अपनी जांच कर रही है और जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि अध्यापक पर लगे आरोप सही है या नही। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान स्कूल के अध्यापकों ने इन्दर शर्मा के व्यक्तित्व और स्वभाव को लेकर बचाव में शपथ-पत्र दिए।