April 20, 2024

जानिए एचआईवी से जुड़ी कुछ खास बातें

Alive News : मैं चाहता हूं मेरी बेटी शादी के पहले मैं मर जाऊं ताकि उसके ससुराल वाले ये न जान पाएं कि बेटी का बाप एचआईवी पॉजिटिव था.”

बेटी को दुल्हन बनते देखना हर पिता का सपना होता है लेकिन हरि सिंह शायद पहले पिता होंगे जो बेटी की शादी के पहले मरने की ख्वाहिश रखते हैं

पिछले 23 साल से हरि सिंह एचआईवी से खुद लड़े, समाज से लड़े और हर मोर्चे पर जीते भी लेकिन बेटी के ससुराल वालों के सामने हार गए.
2013 में हरि सिंह ने अपनी बेटी की शादी धूमधाम से की लेकिन शादी के चार महीने बाद लड़की के ससुराल वालों को पता चला कि बहू के पिता एचआईवी पॉजिटिव हैं तो उनकी बेटी को घर से निकाल दिया जबकि हरि सिंह की बेटी एचआईवी निगेटिव है.
हरि सिंह को 1994 में पहली बार पता चला कि वो एचआइवी पॉजिटिव हैं. उस दिन से आज तक हरि सिंह दवाइयों पर जिंदा है.

एचआईवी का पता कैसे चला?

उन दिनों को याद करते हुए हरि सिंह कहते हैं, “मैं बीवी का इलाज कराने अस्पताल गया था, जहां डॉक्टर ने मुझे मेरा एचआईवी टेस्ट कराने की सलाह दी. मैंने प्राइवेट अस्पताल में जाकर टेस्ट कराया जिसमें टेस्ट पॉजिटिव आया.”

बीमारी का पता चलते ही हरि सिंह के होश उड़ गए. हरि सिंह कहते हैं, “23 साल पहले न तो इस बीमारी के बारे में लोग ज्यादा जानते थे और न ही इसके इलाज के बारे में”.

हरि सिंह के मुताबिक, “1994 में बीमारी का पता चला और 1995 में पिताजी का निधन हो गया. घर में कमाने वाला कोई नहीं. उन दिनों 25 हज़ार रुपए मेरी दवाइयों पर रोज का खर्चा था. हमारा 200 गज में मकान था. इलाज में आधा मकान बिक गया.”

एचआईवी ग्रसित लोगों के लिए काम करने वाली संस्था नैको के आंकड़ो के मुताबिक देश भर में 21 लाख लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं इनमें से 11 लाख का ही इलाज चल रहा है.
नैको के आकड़े ये भी बताते हैं कि भारत में तेजी से इस बीमारी में कमी आ रही है. 2007-8 में जहां हर साल एचआईवी के सवा लाख मामले सामने आते थे, वहीं 2015 में 85,000 नए मामले ही सामने आए.

एचआईवी का मुफ्त इलाज

हालांकि आज देश में एचआईवी का इलाज मुफ्त है लेकिन हर दौर में ऐसा नहीं था.
सरकार ने एड्स के मुफ्त इलाज की शुरुआत एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी सेंटर से शुरू हुई. देश के नामी बड़े अस्पतालों में आज कुल 535 एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी(एआरटी) सेंटर हैं.

लेकिन इस बीमारी से जुड़े डॉक्टरों की माने तो भारत में एचआईवी की जांच को लेकर जागरूकता की कमी है.
एम्स के एआरटी सेंटर के डॉक्टर संजीव सिन्हा के मुताबिक, “समस्या ये है कि लोगों के मन में आज भी इस बीमारी को लेकर डर है. इस डर की वजह से एचआईवी का टेस्ट कराने लोग एआरटी सेंटर नहीं जाते.”

कब कराएं एचआईवी टेस्ट

वैसे तो कई नौकरियों में एचआईवी टेस्ट करवाना अनिवार्य कर दिया है. गर्भवती महिलाओं को भी इसे जरूर कराना चाहिए ताकि बच्चे को संक्रमित होने से बचाया जा सके, ऐसी दवाइयाँ उपलब्ध हैं जिनसे संक्रमण को माँ से बच्चे में जाने से रोका जा सकता है.

गंगाराम हॉस्पिटल के डॉक्टर अतुल गोगिया के मुताबिक जिन लोगों के पार्टनर एचआईवी पॉजिटिव हैं, या जिनको बार-बार इंफेक्शन होता है, जिनको टीबी की बीमारी है उन सब लोगों को एतिहात के तौर पर एचआईवी टेस्ट करना चाहिए.
अगर किसी का एचआईवी टेस्ट पॉजिटिव निकलता है तो तुरंत शरीर में दूसरा कोई इन्फेक्शन है या नहीं इसके लिए टेस्ट कराए जाते हैं.

गाय की मदद से बनाया जा सकता है एड्स का टीका

इसके बाद सीडी 4 टेस्ट किया जाता है. सीडी 4 टेस्ट ये बतता है कि आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कितनी बची है.
इस टेस्ट के बाद डॉक्टर ये बता पाते हैं कि मरीज को एचआईवी किस स्टेज पर है और किस लाइन की दवा उनको देनी है.
भारत में एचआईवी पॉजिटिव के मरीज़ शुरूआती दिनों में लाइन 1 की दवा खाते हैं. लाइन 1 का मतलब होता है स्टेज 1.
लेकिन बहुत दिनों तक एक तरह की दवा खाते-खाते शरीर पर उन दवाओं का असर कम होने लगता है. तब डॉक्टर की सलाह पर मरीज़ को लाइन-2 पर शिफ्ट करना पड़ता है.
एचआईवीइमेज कॉपीरइटHARI SINGH
देश के 535 में से केवल 100 एआरटी सेंटरों पर ही लाइन 2 की मुफ्त दवाएं मिलतीं है. बाहर से खरीदने पर तकरीबन 25 हजार रुपए सालाना खर्च होते हैं.
जिन मरीजों पर लाइन 2 की दवाओं का असर खत्म हो जाता है, उन्हें लाइन 3 की दवा खाने की जरूरत पड़ती है.
ऐसे मरीजों के लिए कुछ गिने चुने एआरटी सेंटर पर ही दवाएं मुफ्त मिलतीं हैं. बाहर से खरीदने पर लाइन 3 की दवाइयों पर तकरीबन एक साल में सवा लाख रुपए खर्च होते हैं.
बाप ने बेटे को लगाई एड्स इंफ़ेक्शन की सुई
भारत में एचआइवी पॉजिटिव मरीजों के लिए लाइन तीन तक की मुफ्त दवाओं का सरकार ने इंतजाम किया है लेकिन वो भी सभी सेंटरों पर उपलब्ध नहीं हैं.
हरि सिंह फिलहाल लाइन-2 एचआईवी की दवाएं खा रहे हैं. उनका कहना है 2008 से उन्हें सरकार की तरफ से मुफ्त दवाओं का लाभ मिलना शुरू हुआ है.
हरि सिंह का दावा है कि अब तक वो अपने एचआईवी के इलाज पर 25 लाख रुपए खर्च चुके हैं लेकिन एक गोली हर दिन तय समय पर लेने से एचआईवी को एड्स में तब्दील होने में रोका जा सकता है. इससे दूसरों को संक्रमित करने की क्षमता 93 फीसदी कम की जा सकती है.