March 29, 2024

मॉर्डन अग्रवाल स्कूल में खुलेआम उड़ी बोर्ड नियमों की धज्जियां

परीक्षा केंद्र के आसपास खुली रही फोटोस्टेट की दुकानें

Poonam Chauhan/Alive News

फरीदाबाद : इंडस्ट्रीयल सिटी के साथ ही एजुकेशन हब बन चुका फरीदाबाद शहर में बोर्ड परीक्षाओं के पहले ही दिन शिक्षा विभाग के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। विभाग के आदेशों की अवहेलना करते हुए शहर के कुछ परीक्षा केन्द्रों के आस-पास फोटोस्टेट की दुकाने खुली रही और इतना ही नही परीक्षा के दौरान जमकर फोटो कॉपी कराई गई।

ऐसा ही नजारा नंगला रोड़ स्थित मॉर्डन अग्रवाल सी.सै.स्कूल पर देखने को मिला। मॉर्डन अग्रवाल स्कूल को दसवीं और बारहवीं का परीक्षा केन्द्र बनाया गया है, लेकिन स्कूल के बाहर मौजूद फोटोस्टेट की दुकाने खुली रही और लोगों ने यहां से परीक्षा के दौरान फोटो कॉपी भी कराई। शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों समेत सुपरीडैंट ने परीक्षा शुरू होने से पहले किसी फोटोस्टेट दुकान के संचालक को दुकानें बंद करने के लिए नही कहा।

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परीक्षा शुरू होने के पहले से फोटोस्टेट की दुकानों पर बच्चों की भीड़ लगी रही, यही नही कई बच्चे तो किताबों के पेज फाडक़र उनकी फोटोकॉपी कराते भी नजर आए। गौर करने वाली बात तो यह है कि परीक्षा शुरू होने के कुछ दिन पहले ही बोर्ड अधिकारियों द्वारा परीक्षा में सख्ती को लेकर आदेश दिए गए थे, लेकिन इन परीक्षा केन्द्रो पर कोई सख्ती देखने को नहीं मिली। दसवीं और बारहवीं की नकल रहित परीक्षाएं कराना हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

पिछले 10-12 वर्षों के इतिहास पर नजर डाली जाए तो यह बोर्ड की असफलता की कहानी ही बयां करता है। दरअसल, सरकार ने स्कूली शिक्षा को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है, जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ के अलावा कुछ भी नहीं करते है। इस बार दसवीं कक्षा के करीब चार लाख और बारहवीं के तीन लाख से अधिक विद्यार्थी परीक्षा दे रहे हैं। सरकार ने करीब 15 हजार सुपरवाइजरों और 1482 केंद्र अधीक्षकों को परीक्षाओं के सफल संचालन की जिम्मेदारी सौंपी है।

पिछली बार अव्यवस्था का कड़वा अनुभव होने के बावजूद भी विभाग ने कोई सबक नहीं लिया और फिर से पुरानी गलती को परीक्षा केन्द्रों पर दोहराया जा रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री द्वारा निजी स्कूल संचालकों से स्कूल गोद लेने की अपील भी समझ से परे रही और अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार निजी स्कूलों को संभालने में नाकाम हो चुकी है ? या फिर निजी स्कूल संचालकों के लिए शिक्षा विभाग के नियम और कानून कुछ मायने नहीं रखते है, जोकि इस प्रकार से विभाग के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। आखिर इस तरह विभाग के नियमों को ताक पर रखने वाले स्कूल या परीक्षा केन्द्रो के खिलाफ क्यों कोई उचित कार्यवाही नहीं की जा रही है। यह बहुत बड़ा सवाल है और इसका जबाव शिक्षा विभाग को देना होगा।