April 23, 2024

महिला खिलाडिय़ों के लिए राज्य खेल परिसर में नहीं है ‘चेंजिंग रूम’

पेड़ो की छांव और पर्दो की आड़ में लड़कियां बदल रही कपड़े

Poonam Chauhan/Alive News : जिले में महिला खिलाडिय़ों को खेलने के लिए देनी पड़ रही है अग्निपरीक्षा। हां, आपने सही सुना महिला खिलाडिय़ों को खेलने के लिए बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। स्मार्ट सिटी में महिला खिलाडिय़ों को पेड़ों की छांव और पर्दो की आड़ में कपड़े बदलने पड़ रहे हैं। सुनकर अजीब जरूर लगेगा, लेकिन हमारी महिला खिलाडिय़ों के साथ ऐसा ही हो रहा है।

सैक्टर-12 राज्य खेल परिसर में महिला खिलाडिय़ों के लिए ‘चेंजिंग रूम’ तो बने हुए है लेकिन उन पर अधिकतर ताला लगा रहता है। इसी के चलते स्टेडियम में खेलने आने वाली लड़कियों को खुले में स्टेडियम के एक कोने में पेड़ के नीचे या पर्दे के पीछे अपने कपड़े बदलने पड़ रहे हैं और अगर सिक्योरिटी की बात करे तो साथी खिलाड़ी पहरेदार की तरह आने-जाने वालों पर नजर रखती हैं, जब कोई खिलाड़ी कपड़े चेंज कर रही हो।

खेल परिसर बनाने में करोड़ो रूपए खर्च किए गए लेकिन इसके बावजूद भी महिलाओं के चेंजिंग रूम पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसे प्रशासन की लापरवाही समझी जाए या फिर अधिकारियों की लीपा-पोती। हमें अपने सिस्टम से पूछना होगा कि जब हमें ओलम्पिक में मेडल कम मिलते हैं, तो हम सोचते है कि हमारे खिलाड़ी क्यों पीछे रह गए, हमें हर खिलाड़ी से मेडल की उम्मीद होती है। क्या इसी फैसिलिटी को देकर हमें मेडल मिल सकता है।

खेल जगत की बात करे तो हरियाणा की खेलों में अपनी अलग पहचान है। विरेन्द्र सहवाग, विजेन्द्र सिंह, साक्षी मल्लिक हो या गीता फौगाट ऐसे कई नाम है जोकि हरियाणा की पहचान बच चुके है, लेकिन फिर क्यों उभरते हुए सितारो पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन को यह बात ज्ञात होनी चाहिए कि अगर हमारे खिलाड़ी मूलभुत सुविधाओं से मेहरूम रहेंगे तो अच्छा प्रदर्शन कैसे कर सकते है।

वहीं दूसरी तरफ यदि पानी और शौचालय की बात की जाए तो खिलाडिय़ों को इसमें भी उदासी ही हाथ लगती है। हरियाणा में खुले में शौचमुक्त के नारे के बावजूद भी खिलाडिय़ों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल पा रही है। क्योंकि यहां के शौचालय की साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। प्रशासन की लापरवाहियों के चलते प्रतिभावान खिलाडिय़ों को भी निखरने का मौका नहीं मिल रहा है।

– स्टेडियम में शौचालय का टोटा
स्टेडियम में प्रेक्टिस करने आने वाले खिलाडिय़ों के लिए शौचालय की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। स्टेडियम में शौचालय तो बने है लेकिन इनकी साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। जिससे खिलाडिय़ों को काफी मुस्बितों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अधिकारियों की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।

– नहीं है पानी का प्रबंध
पानी के नाम पर 12-13 दिन पहले ओल्ड के विधायक विपुल गोयल ने आरो प्लांट का उद्घाटन स्टेडियम में करवाया। लेकिन आरो प्लांट का पानी स्टेडियम में आने वाले बच्चों के लिए प्रर्याप्त नहीं है। जिसके कारण बच्चों को पानी की समस्या से जुझना पड़ रहा है।

– क्या कहते हैं अभिभावक
पंकज परासर, कपिल, जसबीर सिंह ने संयुक्त रूप से बताया कि खिलाडिय़ों के लिए ना तो यहां चेंजिंग रूम की कोई सुविधा है ना ही शौचालय की। 15 अगस्त के कारण यहां थोडी साफ-सफाई देखने को मिल रही है और तभी चेंजिंग रूम और शौचालय का ताला खुला है नहीं तो ये अकसर बंद ही रहता है। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से सिंथेटीक स्टेडियम का पैसा आ चुका है लेकिन उसे अभी तक लगाया नही गया है। वहीं शिव कुमार, फूल कुमार, संतोष भारद्वाज, टीना उज्जीनवाल और शशि डांगी (खिलाडिय़ों के अभिभावकों) ने बताया कि रेस्लिंग के बच्चे सुबह 4:30 बजे स्टेडियम में प्रेक्टिस करने आते है, उस समय ना तो यहां कोई सुरक्षा कर्मी होता है ना ही लाईटे जली होती है। जिससे बच्चों की सुरक्षा को लेकर उनके दिल में डर बना रहता है।

क्या कहती हैं खेल अधिकारी
– जिला खेल अधिकारी मैरी मशी से जब उक्त मामले को लेकर सम्पर्क किया गया, तो खामियों की बात सुनते ही उन्होंने फोन काट दिया। उनके फोन काटने से ये प्रतीत होता है कि जो खामियां खेल परिसर में चल रहीं है उन पर जिला खेल अधिकारी ध्यान नहीं देना चाहतीं है। इस पर खेल मंत्री को तुरन्त प्रभाव से संज्ञान लेना चाहिए।