April 20, 2024

रूह अफ्ज़ा बनाने वाली ‘हमदर्द’ का वायरल सच, नहीं दी जाती हिन्दुओ को नौकरी

ये सवाल इसलिए हैं, क्योंकि वाट्सएप यूनिवर्सिटी से ज्ञान दिया जा रहा है कि अहमदाबाद की एक कंपनी में एक मुस्लिम को रोज़गार नहीं मिला तो खूब हल्ला मचाया गया था. सेकुलर सांप्रदायिकता की बात करने लगे थे. अब वो सेकुलर कहां हैं ? क्यों रूह अफ्ज़ा बनाने वाली कम्पनी में हिंदुओं को नौकरी नहीं दी जाती. कोई क्यों आवाज़ नहीं उठा रहा. हमदर्द कंपनी को लेकर नफरत का ये ज़हर वाट्सएप पर नया नहीं है. ये बात एक साल से सोशल मीडिया पर घूम रही है. इस बार फिर ये मैसेज भेजे जा रहे हैं.

वो क्या है न कि जब मुस्लिमों के रमजान चल रहा होता है. पूरा दिन रोज़े में वो पानी भी नहीं पीते हैं. शाम को जब इफ्तार करते हैं तो रूह अफज़ा ठंडक पहुंचाता है. प्यास को बुझाता है. इस वजह से ये मुस्लिमों में काफी पिया जाता है. और ये ही वजह है कि ‘वाट्सएप यूनिवर्सिटी’ ने इस रूह अफ्ज़ा को मुस्लिम घोषित कर दिया है. इन दिनों सिर्फ रूह अफ्ज़ा ही नहीं बल्कि हमदर्द के सभी उत्पादों का बहिष्कार करने की बात सोशल मीडिया पर ज़ोर शोर से चल रही है. फेसबुक और वॉट्सएप पर जारी मैसेज में कहा जा रहा है कि हमदर्द कंपनी में हिंदुओं की कोई जगह नहीं है, भारत में होने के बावजूद इसमें किसी भी हिंदू को काम करने की इजाज़त नहीं है.

तो क्या है इस रूह अफ्ज़ा बनाने वाली कंपनी हमदर्द का सच ? क्या सच में वहां हिंदुओं को नौकरी नहीं दी जाती? इस बात का पता लगाने के लिए हमारी टीम दिल्ली में आसफ अली रोड पर मौजूद हमदर्द के हेड ऑफिस पहुंची.

रिसेप्शन पर बैठी लड़की से बातचीत की तो पता चला वो हिन्दू है. ये पहला सबूत था वाट्सएप पर फैलाये जा रहे झूठ का पर्दाफाश करने के लिए. रिसेप्शनिस्ट ने सीनियर अफसरों से मिलने को कहा. टीम थर्ड फ्लोर पर पहुंची, जहां कंपनी के चीफ सेल्स एंड मार्केटिंग अफसर मंसूर अली से हुई. उन्होंने बताया ये सब झूठ फैलाया जा रहा है कंपनी के खिलाफ. फिर कंपनी के चीफ फाइनेंस अफसर उमेश कैंथ मिले.

दोनों अफसरों से ये जान कर आश्चर्य हुआ कि न सिर्फ हमदर्द में बड़ी संख्या में हिन्दू काम करते हैं, बल्कि ज़्यादातर अहम विभाग में उसको हेड कर रहे हैं. हिन्दू-मुस्लिम एम्प्लोई के अनुपात की बात करें तो ये 50-50 का है. इसके बाद कुछ और एम्प्लोई से बात हुई और उन्होंने भी वही कहा जो दूसरे अधिकारी कह रहे थे.

हमदर्द के सीनियर अफसर का कहना है कि इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि ये वायरल झूठ धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए है या फिर हमदर्द से व्यवसायिक दुश्मनी के लिए ऐसा किया जा रहा है.