April 25, 2024

……. तो बेटी की परछाई देख, औरंगजेब ने कटवा दी थी कारीगरों की उंगलिया

Indore/Alive News : मसलिन जामदानी साड़ियों का इतिहास बहुत पुराना है। ये साड़ियां औरंगज़ेब के समय से बनती आ रही हैं। ये वही साड़ियां हैं, जिसे बनाने के बाद औरंगज़ेब ने बुनकरों को बुलाकर उनकी अंगुली कटवा दी थी। औरंगज़ेब ने ऐसा इसलिए किया था कि ऐसी खूबसूरत कारीगरी दोबारा न की जाए। साथ ही ये इतनी पारदर्शी थी कि औरंगजेब की बेटी ने इसे सात लेयर में पहना था, लेकिन एेसा प्रतीत हो रहा था जैसे उन्होंने कुछ पहना ही ना हो। जो किसी तरह बच गए, उनका परिवार आज भी वो बेमिसाल कारीगरी कर रहा है। ये रोचक बात एग्ज़ीबिटर श्यामला रामानन ने बताई। वे अभी इंदौर में एक साड़ियों का एक्जीबिशन ऑर्गनाइज कर रही हैं।

पढ़िए दो सदी तक पुरानी साड़ियों की किस्सागोई …
– एक्जीबिटर रामानन ने मसलिन जामदानी साड़ियों का जिक्र करते हुए बताया कि औरंगजेब की बेटी जेबुन्निसा एक दिन जामदानी साड़ी पहनकर महल के ऊपरी हिस्से पर टहल रही थीं। इसी दौरान औरंगजेब का वहां से गुजरना हुआ।

– औरंगजेब ने देखा कि महल के बीचाेबीच बने तालब में जेबुन्निसा की परछाईं दिखाई दे रही है। परछाईं देख औरंगजेब को लगा कि बेटी ने कोई वस्त्र जैसे पहने ही ना हो। वे तत्काल जेबुन्निसा के पास पहुंचे तो देखा कि उन्होंने एक बहुत ही खूबसूरत साड़ी पहन रखी है। औरंगजेब को वह साड़ी और कारीगरी इतनी भाई कि उन्होंने उसे बुनने वाले बुनकरों बुलाकर उनकी अंगुली काटवा दी, जिससे ,फिर से कहीं ऐसी कारीगरी नहीं हो सके।

– उन्होंने कहा कि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जेबुन्निसा ने इस साड़ी को सात परत में पहना था, बावजूद वह दूर से ऐसे प्रतीत हाे रही थीं जैसे उन्होंने कोई वस्त्र पहना ही ना हो। औरंगज़ेब के कहने पर ही इन खूबसूरत साड़ियां को बनाया गया था।

– उन्होंने आगे बताया कि मसलिन जामदानी साड़ियों को परिवार के लोग घर की बेटियों के सामने भी नहीं बनाते हैं। उनका मानना है कि बेटी के जरिए कहीं एक परिवार की कारीगरी दूसरे परिवार में न पहुंच जाए। घर के पुरुष ही साड़ियों का काम करते हैं।

– मसलिन कॉटन की सबसे उम्दा क्वालिटी है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे जो कॉटन पैदा करते थे उससे मसलिन बनता है। नदी के पानी, मिट्टी की तासीर और जलवायु का कॉटन पर ऐसा असर होता है कि उसके रेशे हल्के और चमकदार निकलते हैं। पहले सिर्फ यह कपड़ा राजघरानों के लिए तैयार होता था।