March 29, 2024

सिब्बल की दलील : राजनीतिक हित साधने के लिए ढींगरा आयोग

Chandigarh/Alive News : रॉबर्ट वाड्रा डीएलएफ जमीन सौदे पर सवाल खड़े करने वाली जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि किस आधार पर आयोग का गठन किया गया। मामले पर 26 अप्रैल के लिए सुनवाई तय की गई है। याचिकाकर्ता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तरफ से सीनियर एडवोकेट व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि आयोग का गठन जनहित में नहीं बल्कि राजनीतिक हित साधने के लिए किया गया। इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) की तरफ से मेमोरेंडम दिए जाने के अलावा सरकार के पास आयोग का गठन करने के लिए कोई मेटेरियल नहीं था।

कानूनी प्रक्रिया के तहत किया गठन : महाजन
दूसरी तरफ हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बाद आयोग का गठन किया गया। सिब्बल ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने खुद नोट तैयार कर आयोग का गठन कर दिया। सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि मुख्यमंत्री ने 13 मई 2015 को आयोग का गठन किया। इसके अगले दिन कैबिनेट की मंजूरी लिए बिना आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई। ऐसे में आयोग का गठन अनुचित ढंग से किया गया जिसे खारिज किया जाए। याचिका में कहा गया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने निजी तौर पर 13 मई 2015 को दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एसएन ढींगरा जांच आयोग का गठन किया। गुडगांव के सेक्टर 83 में कामर्शियल कॉलोनी बनाने के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने कामर्शियल लाइसेंस जारी किए। इसकी जांच के लिए आयोग बैठाया गया। अगले ही दिन कैबिनेट की मंजूरी लिए बिना इस मामले में अधिसूचना जारी कर दी गई जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता। आयोग का गठन गलत ढंग से किया गया। ऐसे में इसे खारिज किया जाए।

अनियमितताओं के लिए तत्कालीन सीएम हुड्डा को जिम्मेदार माना
जस्टिस एसएन ढींगरा ने 31 अगस्त को 182 पेज की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में गुडग़ांव में जमीनों के लाइसेंस आवंटन में अनियमितताएं स्वीकार की गई थी। साथ ही राबर्ट वाड्रा की कंपनी और डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदों को नियमों के विपरीत ठहराया था। रिपोर्ट में इन अनियमितताओं के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को जिम्मेदार माना गया। गुरु ग्राम सहित अन्य स्थानों पर कांग्रेस सरकार द्वारा दिए गए सीएलयू में अनियमितताओं की बात कही गई थी।