April 25, 2024

आग की लपटो पर स्मार्ट सिटी…विभाग के पास नहीं है फायर मशीने

विभाग की दस साल पुरानी ‘हाइड्रोलिक मशीन’ बनी शोपीस

Poonam Chauhan/Alive News : स्मार्ट सिटी का तमगा पहने फरीदाबाद शहर के पास नहीं है आग जनित घटना से निपटने के पुख्ता इंतजाम। जी, हां आपने बिल्कुल सही सुना स्मार्ट सिटी का दर्जा हासिल करने वाले फरीदाबाद के पास मात्र एक ‘हाइड्रोलिक मशीन’ ही है, वो भी अब शोपीस बनकर रह गई है। क्योंकि यह डीजल गाडी 10 साल पुरानी है और सरकार के नियमों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में डीजल की 10 साल पुरानी गाड़ी को सडक़ो पर नहीं उतारा जा सकता है। ऐसे में शहरवासियों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में मुम्बई के एक रेस्टोरेंट में घटित हुई घटना में फायर के पुख्ता इंतजाम ना होने के कारण सभी लोग जलकर मर गए।

प्रशासन की लापरवाही और अधिकारियों की सुस्त कार्यशैली के कारण ऐसी ही घटना यहां भी घटित हो सकती है। ऐसी परिस्थिति में विभागीय अधिकारी और प्रशासन मुकदर्शक बनकर तमाशा ही देखते रह जाऐंगे और सैकड़ों लोग अपनी जान गवा बैठेंगे। अगर, हम बात करे तिगांव या फिर ग्रेटर फरीदाबाद की तो वहां बहुमंजिला ईमारतों का विकास बहुत तेजी से हो रहा है, ऐसे में अगर इन बहुमंजिला ईमारतो में आग लग जाती है तो विभाग के पास आग बुझाने या फिर बिल्डिंग में फंसे लोगों को सही सलामत बाहर निकालने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है।

सोचिए ऐसे में कितने लोगों की जान जा सकती है, इसकी जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारी लेंगे या फिर सरकार? फरीदाबाद फायर स्टेशन का आलम यह है कि एक तो विभाग के पास मशीने नही है और न ही इन्हे चलाने वाले पर्याप्त ड्राईवर है। कुछ मशीने हैं भी तो देखरेख के अभाव में सिर्फ कामचलाऊ ही रह गई है और उनकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है।

– आरटीआई एक्टिविस्ट बोले
फरीदाबाद के लोग इतना फायर टैक्स देते है, तो लोगों की आंखों में धूल क्यों झोंका जा रहा है। अग, फायर डिपार्टमेंट के पास गाडिय़ा ही नहीं है तो लोगों की आई वॉश करने के लिए शोपीस क्यों खड़े किए गए है। ग्रेटर फरीदाबाद में जो बहुमंजिला इमारते बन रही है, अगर उसमें आग लग जाती है तो फायर विभाग क्या करेंगा, कैसे लोगों को सुरक्षित निकाला जाएगा या फिर मरने वालों की जिम्मेदारी फायर विभाग लेगा या सरकार जनता को जवाब चाहिए।
– रविन्द्र चावला, आरटीआई एक्टिविस्ट ।

– क्या कहते है अधिकारी
हम ने हाइड्रोलिक मशीन की सरकार से मांग की थी, लेकिन सरकार ने गुडगांव से 10 साल पुरानी गाड़ी फरीदाबाद में भेज दी, जोकि हमारे यहां जून 2017 में आई और जुलाई में इसकी डेट एक्सपायरी हो गई। क्योंकि दिल्ली एनसीआर में डीजल की 10 साल पुरानी गाडिय़ों को सडक़ पर नहीं चलाया जा सकता है। यहां इस मशीन का ड्राईवर भी नहीं है। हम ने डायरेक्टर लोकल बॉडी को लेटर लिखकर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म फायर मशीन और शहर की आबादी को देखते हुए 10 गाडिय़ों की डिमांड की हुई है। अभी यहां 57 स्टाफकर्मी कार्यरत है सरकार से हमने 100 कर्मियों की मांग की है।
– हरि सिंह सैनी, फायर ऑफिसर, एनआईटी फरीदाबाद ।