April 16, 2024

2005 की हार को केन्द्रीय राज्यमंत्री भुला नहीं पा रहे हैं, उतरे औछी राजनीति पर : विजय प्रताप सिंह

Faridabad/Alive News :  पूर्व मंत्री महेन्द्र प्रताप के सुपुत्र एवं कांग्रेसी नेता विजय प्रताप सिंह ने कहा है कि मेरे भाई पर दर्ज किया गया धोखाधड़ी का मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित व निराधार है। यह सिर्फ और सिर्फ हमारी साफ-सुथरी छवि को धूमिल करने का प्रयास है। जिस जमीन को लेकर मामला दर्ज किया गया है, न तो हमारा उससे कोई लेना-देना है और न ही हम जमीन के मालिक हैं और न हमारी कोई जिम्मेदारी लिखित व मौखिक रूप से है। पूरे मामले को लेकर हम जनता के बीच जाएंगे और शीघ्र ही महापंचायत कर दूध का दूध और पानी का पानी करेंगे। विजय प्रताप ने कहा कि राजनीति में हमारी चौथी पीढ़ी है, इस प्रकार के मामलों से वह और और उनका परिवार किसी दबाव में आने वाला नहीं है। लगता है सन् 2005 में हमारे समक्ष 63 हजार वोटों से हारे कृष्णपाल गुर्जर उस हार को भुला नहीं पा रहे हैं और अब औछी राजनीति पर उतर आए हैं।

उनको यह भय है मैं या मेरे परिवार का कोई व्यक्ति उनके खिलाफ लोकसभा का चुनाव न लड़ जाए, इसलिए वह दबाव की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरा शहर समस्याओं से ग्रस्त है और कृष्णपाल गुर्जर झूठे मुकद्दमे दर्ज कराने में व्यस्त है। विजय प्रताप ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि जिस संदीप चपराना ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, वह हरियाणा में बीजेपी की सरकार आने के बाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुआ और हमारे राजनीतिक प्रतिद्वंदी कृष्णपाल गुर्जर जो इस समय केन्द्र में मंत्री हैं के इशारे पर शिकायत में हमारा नाम दिया है। उन्होंने बताया कि संदीप चपराना से उनको 61 लाख रुपए लेने हैं, इसकी बैंक डिटेल भी उनके पास है जिसको वह पेश करेंगे।

संदीप चपराना इनको हजम करना चाहता है। विजय प्रताप ने कहा कि संदीप चपराना ने उन पर आरोप लगाया है कि उसने धर्मेन्द्र व हरविन्दर भोला ने एक एमओयू मैसर्स त्यागी पाईप क्राफ्ट प्रा. लि. के साथ किया था, जिसमें उन्होंने मैसर्स त्यागी पाईप क्राफ्ट प्रा. लि. को हमारे कहने पर पैसे दिए, सरासर बेबुनियाद है। हमें इस बात का कोई इल्म नहीं है कि उन्होंने एमओयू में क्या लेन-देन किया है और उनकी क्या शर्तें थी। शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है कि हम रजिस्ट्री के लिए टालम-टोल कर रहे हैं, बिल्कुल अर्थहीन है, क्योंकि न तो हम इस जमीन के मालिक हैं और न ही हमारी कोई लिखित व मौखिक जिम्मेदारी इस एमओयू के तहत है। उन्होंने कहा कि अगर शिकायतकर्ता के पास कोई साक्ष्य है तो वह पेश करे।

विजय प्रताप ने कहा कि संदीप चपराना के अनुसार धर्मेन्द्र सिंह व हरविन्दर भोला के साथ मिलकर नया सेल एग्रीमेंट उनके नाम करा दिया है। जबकि हमें इस तरह के किसी इकरारनामे की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि इस मामले में पूर्व में जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी तो मैसर्स त्यागी पाईप क्राफ्ट प्रा. लि. ने हमारे खिलाफ शिकायत की थी कि हम संदीप चपराना जोकि उस समय कांग्रेस पार्टी में बडख़ल ब्लॉक अध्यक्ष थे व धर्मेन्द्र की नाजायज मदद कर रहे हैं। क्योंकि उस समय हमारे पिताजी चौ. महेन्द्र प्रताप सिंह प्रदेश में मंत्री थे और पार्टी व समाज के नाते संदीप चपराना का हमारे यहां काफी आना-जाना था। इसलिए मैसर्स त्यागी पाईप क्राफ्ट प्रा. लि. को यह गलतफहमी हो गई थी कि हम संदीप चपराना, धर्मेन्द्र व हरविन्दर भोला की नाजायज मदद कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि हमने इस विवाद में किसी भी पक्ष की मदद नहीं की है और हमेशा इनको आपस में बिठाकर मामले का शांतिपूर्ण समाधान कराने की सलाह दी है।

विजय प्रताप ने कहा कि संदीप चपराना व प्रेमकृष्ण आर्य पप्पी के उस आरोप पर, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने कांग्रेस हमसे पीडि़त होकर छोड़ी, सरासर गलत है और राजनीति से प्रेरित है। अगर वो वास्तव में ही हमसे पीडि़त होकर पार्टी छोड़ते तो उसी वक्त बयान जारी करते, अब एक-डेढ़ साल बाद कृष्णपाल गुर्जर के दबाव में आकर इस मामले को उठाने का कोई तात्पर्य नहीं बनता। उन्होंने अपने निजी हित व राजनीतिक लालच के लिए पार्टी छोड़ी। विजय प्रताप ने कहा कि मुझे ज्ञात हुआ है कि मैसर्स त्यागी पाईप क्राफ्ट प्रा. लि. व संदीप चपराना के सिविल कोर्ट में मुकद्दमे भी चले हैं, जिनको संदीप चपराना ने विड्रा भी किया है।