April 24, 2024

अमेरिका ने की NSG के सदस्यों से अपील, भारत का करें समर्थन

वाशिंगटन : अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से इस विशिष्ट समूह में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करने का अनुरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह : एनएसजी: के सहयोगी देशों से यह अपील की है कि जब भी एनएसजी की समग्र चर्चा हो तब इसके सहयोगी देश भारत के आवेदन का समर्थन करें जो संभवत: अगले हफ्ते होगी।’’

भारत के आवेदन का समर्थन करें
एक प्रश्न के जवाब में किर्बी ने कहा, ‘‘फिलहाल मैं यह नहीं बता सकता कि यह कैसे होगा और ना ही मैं कोई अटकल लगा सकता हूं कि किस तरह से इसे किया जाएगा, लेकिन हमने यह साफ किया है कि हम उनके (भारत के) आवेदन का समर्थन करेंगे।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले सप्ताह अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 48 सदस्यीय समूह के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया था। अमेरिका एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन कर रहा है।

रुकावट न डालने की अपील
इससे पहले यहां एक बैठक से पूर्व अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे देशों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि उन्हें ‘‘समूह में भारतीय प्रशासन को शामिल किए जाने पर आम सहमति में रुकावट नहीं डालते हुए इस पर सहमति जतानी चाहिए।

पीएम मोदी की ओबामा से मुलाकात के बाद दिया समर्थन
गौरतलब है कि पीएम मोदी और ओबामा के बीच बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान में यह कहा गया कि अमेरिका एनएसजी के सदस्य देशों से यह अपील करता है कि इस महीने के आखिर में एनएसजी प्लेनरी में भारत का आवेदन आने पर इसके सहयोगी देश उसका (भारत का) समर्थन करें। बहरहाल, एनएसजी का सदस्य नहीं होने के बावजूद भारत अमेरिका के साथ अपने परमाणु सहयोग समझौता के लिए 2008 के एनएसजी नियमों में छूट के तहत इसकी सदस्यता का लाभ ले रहा है।

एनएसजी परमाणु से संबंधित अहम मुद्दों को देखता है और इसके सदस्यों को परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार एवं उसके निर्यात की इजाजत होती है। एनएसजी सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और भारत के खिलाफ एक देश का भी वोट भारत की दावेदारी को नुकसान पहुंचा सकता है।

चीन ने जताई है चिंता
अमेरिका ने एनएसजी में भारत के प्रवेश पर समर्थन के संबंध में यह बयान ऐसे समय में दिया है जब एक दिन पहले चीन की आधिकारिक मीडिया ने चिंता जताई थी कि भारत के प्रवेश से दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन ‘‘प्रभावित’’ होगा और भारत एक ‘‘वैध’’ परमाणु शक्ति बन जाएगा।

न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप के बारे में जानें
यह 48 देशों का समूह है, जो परमाणु संबंधी चीजों के व्यापार को संचालित करते है।
इस समूह का मकसद है न्यूक्लियर मैटेरियल का इस्तेमाल बिजली बनाने जैसे शांतिपूर्ण कामों के लिए हो।
NSG यह भी सुनिश्चित करता है कि न्यूक्लियर सप्लाई मिलिट्री इस्तेमाल के लिए डाइवर्ट न की जाए।
NSG के 48 देशों में से एक देश भी अगर भारत को शामिल करने का विरोध करता है तो NSG में भारत को शामिल नहीं किया जाएगा।
चीन भारत की इस मुहिम का विरोध कर रहा है जबकि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है।
स्विटज़रलैंड ने समर्थन की बात कही है, वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाल के चीन दौरे को भी NSG के मुद्दे पर चीन के रुख को नरम करने की पहल के तौर पर देखा जा रहा है।