April 19, 2024

दिलचस्प रहे धोनी के करियर के ये पांच पड़ाव

महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर सबको चौंकाते हुए टीम इंडिया की टी-20 और वनडे की कप्तानी छोड़ दी है. हालांकि वे इन दोनों फॉर्मेट में विकेटकीपर-बल्लेबाज की अपनी भूमिका निभाते रहेंगे. 35 साल के धोनी ने दो साल पहले टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के समय भी सबको चौंकाया था जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में बीच सीरीज में इस फॉर्मेट में सदा के लिए अपना बल्ला टांग दिया था. धोनी को वनडे में भारत का सबसे सफल कप्तान माना जाता है. उन्होंने 199 वनडे और 72 टी-20 मैचों में भारत की कप्तानी की और इन दोनों ही फॉर्मेट में भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाया.

2007 टी-20 वर्ल्ड कप
2007 में जब राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ी और सचिन तेंदुलकर व सौरव गांगुली जैसे दिग्गजों ने टी-20 का वर्ल्ड कप खेलने से इनकार किया तो धोनी को युवा ब्रिगेड की कमान सौंपी गई और अपने पहले ही टेस्ट में धोनी पास हो गए जब टीम इंडिया रोमांचक फाइनल मैच में पाकिस्तान को हराकर टी-20 की पहली वर्ल्ड चैंपियन बनी.

2011 वनडे का वर्ल्ड कप
2011 के वनडे के विश्व कप में टीम इंडिया ने धोनी के नेतृत्व में चमत्कारिक प्रदर्शन किया और 2 अप्रैल को मुंबई के वाडखेड़े में श्रीलंका के खिलाफ धोनी के ऐतिहासिक छक्के ने भारत को टी-20 की तरह वनडे का भी वर्ल्ड चैंपियन बना दिया. भारत का ये दूसरा विश्वकप था और उससे पहले कपिल देव ने 1983 में भारत को ये गौरव दिलाया था.

2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी
धोनी ने कप्तानी के अपने छठे साल में चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया का नेतृत्व किया और विरोधियों को छठी का दूध याद दिलाया. मेजबान इंग्लैंड के साथ चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल बारिश के चलते एक टी-20 गेम में बदल गया लेकिन धोनी के धुरंधरों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अंग्रेजों के जबड़े से जीत छीन ली. इसके साथ ही धोनी ऐसे अकेले कप्तान बन गए जिसने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती हों.

कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज 2007-08
धोनी के कप्तानी करियर का एक मील का पत्थर कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज भी है जिसमें ऑस्ट्रोलिया और श्रीलंका जैसे धुरंधरों को मात देते हुए टीम इंडिया ने सीरीज अपनी झोली ने डाल ली.

2009 वर्ल्ड टी-20 कप
2009 में जब भारत टी-20 का वर्ल्ड कप खेलने गया जो उससे सबसे ज्यादा उम्मीदें थीं क्योंकि वो पूर्व चैंपियन के रूप में टूर्नामेंट में उतरा था लेकिन भारत को इसमें जबर्दस्त हार मिली और कप्तान के रूप में पहली बार धोनी पर सवाल उठे.

2014 का टी-20 वर्ल्ड कप
2014 के वर्ल्ड कप फाइनल में जब भारत और श्रीलंका आमने-सामने थे तो ये तय माना जा रहा था कि कप्तान धोनी अपने वर्ल्ड कप की हैट्रिक पूरी करने जा रहे हैं लेकिन टीम इंडिया उस मैच में महज 130 रन बना सकी. वे भी तब जबकि अंतिम ओवरों में खुद धोनी और भारत के सिक्सर किंग युवराज सिंह मैदान में थे. श्रीलंका ये मैच आसानी से जीत गया और लगा कि धोनी का वक्त अब खत्म हो चुका है.

2015 का वर्ल्ड कप
2015 के वर्ल्ड कप को भारतीय क्रिकेट प्रेमी कभी नहीं भूल पाएंगे. टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रही टीम इंडिया सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के सामने बिल्कुल पस्त नजर आई और कप्तान के रूप में माही का वनडे का आखिरी वर्ल्ड कप टूर्नामेंट एक बुरा सपना बनकर रह गया.

2016 वर्ल्ड टी-20 कप
2016 के टी-20 के वर्ल्ड कप में भी जैसे 2015 के वनडे के वर्ल्ड कप जैसी कहानी दोहराई गई और सेमीफाइनल में मजबूत दिख रही टीम इंडिया वेस्ट इंडीज के हाथों बुरी तरह परास्त हो गई. वेस्ट इंडीज ही बाद में इस कप का विजेता बना लेकिन धोनी का कप्तानी के रूप में ये आखिरी बड़ा टूर्नामेंट भी भारत को कोई अच्छी खबर नही दे सका.