April 18, 2024

…. ये विश्वविद्यालय है या फर्जीवाड़े का अड्डा

FIR तक ही सिमटे अधिकारी, नहीं है कोई ठोस इंतजाम

Rohtak/Alive News : एमडीयू को भले ही ए ग्रेड का दर्जा प्राप्त हो, लेकिन फर्जीवाड़े के मामले में भी महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ए ग्रेड से कम नहीं है। विश्वविद्यालय में आए दिन फर्जीवाड़े के मामले सामने आ रहे हैं। हालात यह है कि इतने संगीन मामले होने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन केवल पुलिस कार्रवाई तक ही सिमट रहा है। इस कड़ी में अब बहादुरगढ़ के कॉलेज के बीटेक छात्र द्वारा उत्तर पुस्तिक निकलवा कर फिर से लिखकर जमा करने का मामला जुड़ गया है। इसके तहत उसने विवि में ठेके पर कार्यरत कर्मी से 30 हजार में सांठगांठ कर पहले कॉपी निकलवाई। फिर आंसर सीट फिर से भर कर रखवा दी। इसके बाद भी नंबर कम आए तो दोबारा फोटोकॉपी के लिए आवेदन किया।

जब कॉपी की जांच की गई तो हैंडराइटिंग अलग होने पर संदेह बढ़ा जिसके बाद विद्यार्थी सहित तीन के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। दरअसल, विश्वविद्यालय स्तर पर कोई भी ऐसे ठोस इंतजाम नहीं है कि ऐसे फर्जीवाड़े दोबारा होने से बच सके। इस तरह के फर्जीवाड़े विश्वविद्यालय की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। कुछ वर्षों में सामने आए फर्जीवाड़ों पर नजर डाले तो सबसे चर्चित वर्ष 2012 बीटेक उत्तर पुस्तिका फर्जीवाड़ा रहा। इसमें बीटेक की 2200 उत्तर पुस्तिका सीक्रेसी ब्रांच की छत पर पड़ी मिली थी। जांच का दायरा बढ़ा तो फर्जीवाड़े की कहानी खुलती चली गई। विश्वविद्यालय के कई कर्मचारियों और बाहरी लोगों के हस्तक्षेप से ये सब हो रहा है।

इसके अलावा विश्वविद्यालय में सितंबर 2015 में बीटेक अंक घोटाला सामने आया था। छात्रों के अंक जीरों से बढ़ाकर 55 तक कर दिए गए थे। इस फर्जीवाड़े में भी यूनिवर्सिटी में ब्रांच अधीक्षक समेत ३ लोग दोषी पाए गए थे। जिन पर मामला दर्ज हुआ था। कुछ साल पहले पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में भी इस तरह का मामला सामने आने पर उसे रद्द करना पड़ा था। अवार्ड लिस्ट में ही बदल दिए गए थे नंबर वहीं दिसंबर 2013 में एमडीयू में बीए एलएलबी पांच वर्षीय कोर्स के पेपर कराए गए थे।

एमडीयू ने उत्तर पुस्तिकाओं की चेकिंग के लिए सोनीपत के खानपुर स्थित भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय को सेंटर बनाया था। जांचने के बाद खानपुर यूनिवर्सिटी की तरफ से एमडीयू में अवार्ड लिस्ट और उत्तर पुस्तिका वापस भेज दी गईं। इन उत्तर पुस्तिकाओं और अवार्ड लिस्ट पर जो नंबर चढ़ाए गए थे, उनमें काफी फेरबदल था। यहां तक कि इनमें नंबर चढ़ाने के बाद दोबारा से काटकर उन्हें बढ़ाया गया था। इतना सब होने के बाद भी एमडीयू की सीक्रेसी ब्रांच ने ध्यान नहीं दिया और इसी अवार्ड लिस्ट के आधार पर परिणाम जारी कर दिया गया। परीक्षा परिणाम जारी होने के कुछ समय बाद 2014 में यह फर्जीवाड़ा सामने आया। जिसमें खानपुर यूनिवर्सिटी की एक असिस्टेंट प्रोफेसर की भूमिका सामने आई थी।

मुन्ना भाई ने मिलकर बदल दिए थे उत्तरपुस्तिका के पेज मार्च 2017 में भी उत्तर पुस्तिका के पेज बदलने का मामला सामने आया था। झज्जर स्थित फतेहपुरी के सीबीएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस से राहुल तिवारी नाम का छात्र बीटेक कर रहा था। राहुल ने मई 2016 में बीटेक छठे सेमेस्टर की परीक्षा दी थी। लेकिन जब परिणाम आया तो राहुल फेल हो गया। राहुल ने आरटीआई के तहत अपनी उत्तरपुस्तिका निकलवाई तो उसके होश उड़ गए। उसकी उत्तरपुस्तिका के बीच के पेज किसी ने बदल रखे थे। सिर्फ आगे और पीछे का पेज ही राहुल की कॉपी के थे। बाद में खुलासा हुआ कि उसके सहपाठी सचिन ने उत्तर पुस्तिका के पेज बदले हैं।

सिक्रेसी ब्रांच के डिप्टी रजिस्ट्रार कृष्ण कुमार दहिया की शिकायत पर पीजीआई थाने में कबूलपुर निवासी आरोपी छात्र सचिन के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया था। जब रेहड़ी पर मिली थी उत्तर पुस्तिका १ नवंबर 2015 में एमडीयू की बीटेक थर्ड सेमेस्टर-2013 की मैथ की बिना जांची गई 61 उत्तर पुस्तिकाएं सोनीपत स्टैंड के पास रेहड़ी पर पड़ी मिली थी। ये उत्तर पुस्तिकाएं मातूराम इंजीनियरिंग कॉलेज की थी। एक महिला प्रोफेसर रेहड़ी पर फल खरीदने पहुंची थी। उत्तर पुस्तिका के बंडल देखकर उसके बारे में पूछा। इन उत्तर पुस्तिका के सीरियल नंबर 1436665, 1438197, 1438819, 1440952 और 1441024 था। महिला प्रोफेसर की तरफ से सूचना मिलने पर विश्वविद्यालय ने इन उत्तर पुस्तिका को कब्जे में ले लिया था।