April 26, 2024

लकवाग्रस्त मरीजों के लिए थ्रोम्बोलाइसिस इजेक्शन तकनीक कारगार: डा. रोहित गुप्ता

अस्पताल मे 300 से अधिक मरीजों को किया गया पूरी तरह ठीक

Faridabad/ Alive News: वर्ल्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर मैट्रो अस्पताल के न्यूरोलाजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट न्यूरोलाजी डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि स्ट्रोक मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा आम कारण है। यह भारत मे वयस्क विकलांगता का प्रमुख कारण है। पिछले कुछ दशकों मे विकसित देशों के मुकाबले जहाँ स्ट्रोक का प्रसार घटा गया है, भारत मे स्ट्रोक का बोझा बढ़ते ही जा रहा है। भारत मे स्ट्रोक के प्रसार के बढ़ने के कुछ कारण है जैसे धूम्रपान, बढ़ती लम्बी उम्र और शहरीकारण द्वारा लाइफस्टाईल मे बदलाव। लोगों मे स्ट्रोक के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए मैट्रो अस्पताल में डा. रोहित द्वारा फेसबुक का लाइव सेशन भी किया, जिसमे कई मरीजों मे अपने प्रश्न पूछे।
डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने पाया कि भारत मे स्ट्रोक के बोझ का हाइपरटेन्शन, धूम्रपान, बढ़ता लिपिड स्तर और डाएबीटिज कुछ महत्वपूर्ण कारण है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त रोगियों के लिए थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन एक नई तकनीक है। मैट्रो अस्पताल नियमित रूप से मस्तिष्क मे धमनियों की रूकावट के उपचार के लिए थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। डा. गुप्ता ने कहा कि मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद मे थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक द्वारा अब तक 300 से अधिक मरीजों को ठीक किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उम्र की कोई समय-सीमा नहीं हैं। हमारे विभाग मे उच्च न्यूरो इमेजिंग तकनीकी संसाधन है। अस्पताल मे एम.आर.आई. व सीटी स्कैन की सुविधा भी उपलब्ध है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त 40 साल से कम के लोगों मे भी हो सकता है। भारत मे तीव्र स्ट्रोक/लकवे से 10 से 15 प्रतिशत मरीज 40 से कम उम्र के होते है। थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक 18 साल से ऊपर के किसी भी मरीज पर की जा सकती है। युवा मरीजों पर इसके रिजल्ट बहुत अच्छे होते है। डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा के उपयोग व जागरूकता पर जोर देने की जरूरत है। विंडो पीरियड का महत्व, थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा का लाभ, स्ट्रोक के बारे में जानकारी होनी चाहिये।
इस दौरान मैट्रो अस्पताल के डायरेक्टर एवं वरिष्ठ हृदय रोग विषेषज्ञ डा. एस.एस. बंसल ने बताया कि थ्रोम्बोलाइसिस की यह तकनीक लकवा होने के 4 व 5 घंटे तक की जा सकती है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त होने पर मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुँच जाना चाहिये। क्योंकि जल्दी से उपचार मिलने पर इसके अच्छे परिणामों की प्राप्ति 100 प्रतिशत तक हो सकती है। डा. बंसल ने कहा कि मैट्रो अस्पताल नई-नई तकनीक के माध्यम से लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए प्रयासरत है और आने वाले समय में भी अस्पताल नई-नई तकनीकों के माध्यम से लोगों को बहेतर चिकित्सा सेवाएं देने के लिए कार्य करता रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा की जागरूकता, समय रहते बिमारियों से बचाव एवं अनुशासिक जीवन प्रणाली एक बेहद कारगर उपाय है, इन सभी गंभीर बिमारियों से बचने के संदर्भ में
मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद जानकारी के विभिन्न उपायो को करते रहते है।