April 26, 2024

क्यों बदहाल है हमारी स्वास्थ्य सेवाएं?

डॉक्टरों की कमी,स्वास्थय सेवाओं को झटका…

किसी भी देश की विकास तब तक सम्भव नही है, जब तक उस देश में चिक्तिसा व शिक्षा सुविधा का लाभ प्रत्येक जनमानस को नही मिल पाता। यदि भारत देश की बात करें तो आज भी भारत में चिक्तिसा सुविधा का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक नही पहुंच रहा है। सरकारी हस्पताल है लेकिन उनको चलाने के लिए डॉक्टर नही है। अनेको बीमारीयों से ग्रस्त मरीजों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन डॉक्टरों की तादाद बहुत कम है। देश की जनता सही ईलाज करवाने के लिए निजि अस्पतालों पर निर्भर है, और अपनी आय का मोटा हिस्सा निजि हस्पतालों में देने को मजबूर है। इसका नतीजा है की निजि हस्पतालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वही सरकारी हस्पतालों की हालात भी दयनीय होते जा रहे है। यह सब ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि डॉक्टर सरकारी हस्पतालों की तरफ रूख करने की बजायें अपने अपने निजि हस्पताल खोल रहे है, जिसका खामियाजा आम जनमानस को भुगतना पड़ रहा है।
डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबित देश में डॉक्टरों की भारी कमी है यदि एक नजर इन आकंडों मे डाले तो सच्चाई अपने आप ब्यान करती है कि किस प्रकार देश में डॉक्टर और मरीजों का अनुपात बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, और भारत स्वास्थय की पंक्ति में कहां खड़ा है। 9,59,198 देश में रजिस्टर्ड डॉक्टरों की संख्या है और भारत में डॉक्टर-मरीज का अनुपात 1:1681 है। विश्व स्वास्थय संगठन की ओर से तय न्यूनतम अनुपात 1:1000 है, और डब्लूएचओ की न्यूनतम सीमा तक पहुंचना है तो 2020 तक 4 लाख डॉक्टर की जरूरत है।
आज भारत को सबसे ज्यादा स्वास्थय सेवाओं की जरूरत है ओर स्वास्थय सेवाओं से पहले डॅाक्टरों की कमी को दूर करना उससे बड़ी चुनौती है।
भारत में मेडिकल सीट केवल 5 राज्यों में है
मेडिकल कॉलेज में सीटें सरकारी और निजि कुल सीटों में हिस्सेदारी प्रतिशत में
कर्नाटक 7,355 12.9 प्रतिशत
आंध्र प्रदेश 7,150 12.5 प्रतिशत
महाराष्ट्र 6,595 11.6 प्रतिशत
तमिलनाडु 6,015 10.5 प्रतिशत
उतर प्रदेश 4,699 8.2 प्रतिशत
और इन राज्यों मे डॅाक्टरों के रजिस्टर्ड की सख्या में नजर डाले तो 46प्रतिशत इन राज्यों में ही डॉक्टर रजिस्टर्ड है।
आज भारत के कोने कोने में स्वास्थय सेवाऐं पहुंचाने के लिए सबसे पहले लंबित पड़ी डॉक्टरों की सीटों को भरना होगा ताकि हमारे देश में स्वास्थय सेवा का लाभ हर जगह पहुंच सके।
राकेश शर्मा, कुरूक्षेत्र